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कनाडा के पास 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित, जानें लिस्ट में टॉप फाइव अपराधी हैं कौन

कनाडा के पास लंबित भारत के प्रत्यर्पण अनुरोधों का विवरण साझा करते हुए, विदेश मंत्रालय ने पांच व्यक्तियों का नाम लिया.

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By Aroonim Bhuyan

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

26 EXTRADITION REQUESTS
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल. (ETV Bharat)

नई दिल्ली: कनाडा में सिख अलगाववादियों को समर्थन दिए जाने से भारत और कनाडा के बीच चल रहे कूटनीतिक विवाद के बीच, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने गुरुवार को खुलासा किया कि नई दिल्ली से 26 प्रत्यर्पण अनुरोध एक दशक से अधिक समय से कनाडा के पास लंबित हैं.

यहां अपने नियमित मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह जानकारी साझा करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इनमें से पांच आतंकवादियों और अपराधियों का नाम लिया. जायसवाल ने कहा कि कनाडा के पास 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं. ये पिछले एक दशक या उससे अधिक समय से हैं. इनमें अपराधियों की कई अनंतिम गिरफ्तारी अनुरोध भी हैं जो कनाडा के पास लंबित हैं. इसके बाद उन्होंने 'कुछ उल्लेखनीय लोगों' के नाम लिए, जिन पर आतंकवाद और संबंधित अपराधों के आरोप लगाए गए हैं.

उन्होंने कहा कि वे गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल हैं. वे आतंकवाद के आरोपों और कुछ संबंधित आरोपों में वांछित हैं. जायसवाल के अनुसार, भारत ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह सहित गिरोह के सदस्यों के बारे में कनाडा सरकार के साथ सुरक्षा संबंधी जानकारी भी साझा की है और कनाडा सरकार से इन गैंगस्टरों को गिरफ्तार करने और/या कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा कि जबकि हमने यह जानकारी दी है और आदान-प्रदान किया है, अभी तक हमारे अनुरोध पर कनाडा की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. यह बहुत गंभीर है. साथ ही, उन्होंने इसे 'बहुत अजीब' बताया कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) कोई कार्रवाई करने के बजाय, कनाडा में अपराध करने वाले इन लोगों के लिए भारतीय पक्ष को दोषी ठहरा रही है. तो, ये पांच आतंकवादी और अपराधी कौन हैं जिनका नाम विशेष रूप से बताना प्रवक्ता के लिए महत्वपूर्ण है और उनके खिलाफ क्या आरोप हैं?

पंजाब के गुरदासपुर जिले के जोगी चीमा के मूल निवासी गुरजीत सिंह चीमा वर्तमान में कनाडा के ब्रैम्पटन में रह रहा है. उसके पास कनाडा की नागरिकता है. वह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) का खुख्यात कार्यकर्ता है. टोरंटो के ब्रैम्पटन में सिंह खालसा सेवा क्लब में उसकी सक्रिय भागीदारी है. 22 मार्च, 2002 को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) के तहत भारत में ISYF पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. गुरजीत पंजाब में टारगेट किलिंग को अंजाम देने के लिए सिख युवकों को कट्टरपंथी बनाने, भर्ती करने और उन्हें वित्तपोषित करने में शामिल रहा है.

मार्च-अप्रैल 2017 में पंजाब की यात्रा के दौरान, उसने इन गतिविधियों के लिए एक आतंकवादी मॉड्यूल स्थापित करने में मदद की. जुलाई 2016 और मई 2017 में, उसने अपने संचालन का समर्थन करने के लिए मॉड्यूल के सदस्य सुखमनप्रीत सिंह को 75,000 रुपये हस्तांतरित किए. गुरजीत ने लखबीर सिंह रोडे जैसे संपर्कों के माध्यम से पाकिस्तान से आतंकवादी हार्डवेयर की शिपमेंट की सुविधा भी दी और मॉड्यूल के लिए हथियार खरीदने के लिए मार्च 2017 में ग्वालियर, मध्य प्रदेश की यात्रा की.

गुरजिंदर सिंह पन्नू, जो मूल रूप से तरनतारन के नौशहरा पन्नुआन के रहने वाला है. अब कनाडा के हैमिल्टन का निवासी है. उसके पास भी कनाडा की नागरिकता है. ISYF के कार्यकर्ता और सिंह खालसा सेवा क्लब के सदस्य, वह सिख युवकों को कट्टरपंथी बनाने और आतंकवादी मॉड्यूल का समर्थन करने के लिए धन जुटाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं.

जून 2016 और फरवरी 2017 के बीच, गुरजिंदर ने हथियारों की खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिए इन आतंकवादी मॉड्यूल के सदस्यों को 3,70,000 रुपये से अधिक हस्तांतरित किए. गुरप्रीत सिंह, जो मूल रूप से पंजाब के मोगा के रहने वाले हैं और अब कनाडा के ओंटारियो में रहते हैं, वे भी एक कनाडाई नागरिक हैं और ISYF के कार्यकर्ता हैं. वे टोरंटो में सिंह खालसा सेवा क्लब के सक्रिय सदस्य भी हैं. गुरप्रीत पंजाब में लक्षित हत्याओं को अंजाम देने के लिए सिख युवकों को कट्टरपंथी बनाने, भर्ती करने और उन्हें वित्तपोषित करने में शामिल रहे हैं. मार्च 2016 में भारत की यात्रा के दौरान, उन्होंने इस क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक ISYF मॉड्यूल स्थापित किया. नवंबर 2016 में, पाकिस्तान स्थित खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के प्रमुख हरमीत पीएचडी के सहयोग से, जो 2020 में पाकिस्तान में मारा गया था, गुरप्रीत ने मॉड्यूल के सदस्यों के लिए दो पिस्तौल हासिल की.

अप्रैल 2017 में, उसने मॉड्यूल के लिए ग्वालियर से पिस्तौल मंगवाने के लिए अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराई. जून 2016 और फरवरी 2017 के बीच, उसने मॉड्यूल के संचालन को आगे बढ़ाने के लिए 1,00,000 रुपये से अधिक हस्तांतरित किए. कनाडा स्थित गैंगस्टर लखबीर सिंह संधू उर्फ ​​'लांडा' को पिछले साल दिसंबर में गृह मंत्रालय द्वारा आधिकारिक तौर पर 'व्यक्तिगत आतंकवादी' नामित किया गया था.

खालिस्तानी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) का एक नेता, लांडा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवादी के रूप में पहचाना जाने वाला 55वां व्यक्ति है. वह भारत में कई अपराधों के लिए वांछित है, गृह मंत्रालय ने उस पर अन्य आतंकवादी गतिविधियों के अलावा मोहाली में पंजाब पुलिस खुफिया मुख्यालय पर 2022 रॉकेट हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया है.

1989 में पंजाब के तरनतारन में जन्मे लांडा के खिलाफ राज्य भर में 30 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. कनाडा भागने के बाद, वह अब एडमॉन्टन, अल्बर्टा में रहता है. लांडा के पाकिस्तान स्थित गैंगस्टर हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा के साथ घनिष्ठ संबंध होने के बारे में भी जाना जाता है. पिछले साल सितंबर में इन दोनों के नाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की खालिस्तान समर्थक बीकेआई के पांच गुर्गों की सूची में शामिल थे, और उनकी गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वालों को नकद इनाम देने की घोषणा की गई थी.

अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श दल्ला को जघन्य अपराधों में कथित संलिप्तता के लिए पिछले साल जनवरी में गृह मंत्रालय द्वारा नामित आतंकवादी घोषित किया गया था. मूल रूप से पंजाब के मोगा जिले के दल्ला गांव का रहने वाला अर्शदीप कई संगठित आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है. वह खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) जैसे चरमपंथी समूहों से जुड़ा हुआ है. अर्शदीप के संबंध कुख्यात कनाडाई गैंगस्टर गोल्डी बरार से भी हैं, जो लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का सदस्य है. अर्शदीप को हथियारों और ड्रग्स की सीमा पार तस्करी में शामिल होने के लिए जाना जाता है, अक्सर वह पाकिस्तान स्थित गुर्गों के साथ मिलकर काम करता है.

भारत में हथियारों के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता है. उसका आपराधिक नेटवर्क युवाओं को आतंकवादी समूहों में शामिल करने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है. उसकी गतिविधियों के कारण, उसे भारतीय अधिकारियों की ओर से एक बड़े खतरे के रूप में पहचाना गया है और वह एनआईए के रडार पर है, जिसने उसकी गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है.

मीडिया ब्रीफिंग के दौरान, प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि भारत हमेशा से कनाडा से अलगाववादी ताकतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए कहता रहा है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को राजनीतिक कारणों से बढ़ावा दिया जा रहा है.

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यहां अपने नियमित मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह जानकारी साझा करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इनमें से पांच आतंकवादियों और अपराधियों का नाम लिया. जायसवाल ने कहा कि कनाडा के पास 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं. ये पिछले एक दशक या उससे अधिक समय से हैं. इनमें अपराधियों की कई अनंतिम गिरफ्तारी अनुरोध भी हैं जो कनाडा के पास लंबित हैं. इसके बाद उन्होंने 'कुछ उल्लेखनीय लोगों' के नाम लिए, जिन पर आतंकवाद और संबंधित अपराधों के आरोप लगाए गए हैं.

उन्होंने कहा कि वे गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल हैं. वे आतंकवाद के आरोपों और कुछ संबंधित आरोपों में वांछित हैं. जायसवाल के अनुसार, भारत ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह सहित गिरोह के सदस्यों के बारे में कनाडा सरकार के साथ सुरक्षा संबंधी जानकारी भी साझा की है और कनाडा सरकार से इन गैंगस्टरों को गिरफ्तार करने और/या कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा कि जबकि हमने यह जानकारी दी है और आदान-प्रदान किया है, अभी तक हमारे अनुरोध पर कनाडा की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. यह बहुत गंभीर है. साथ ही, उन्होंने इसे 'बहुत अजीब' बताया कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) कोई कार्रवाई करने के बजाय, कनाडा में अपराध करने वाले इन लोगों के लिए भारतीय पक्ष को दोषी ठहरा रही है. तो, ये पांच आतंकवादी और अपराधी कौन हैं जिनका नाम विशेष रूप से बताना प्रवक्ता के लिए महत्वपूर्ण है और उनके खिलाफ क्या आरोप हैं?

पंजाब के गुरदासपुर जिले के जोगी चीमा के मूल निवासी गुरजीत सिंह चीमा वर्तमान में कनाडा के ब्रैम्पटन में रह रहा है. उसके पास कनाडा की नागरिकता है. वह इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) का खुख्यात कार्यकर्ता है. टोरंटो के ब्रैम्पटन में सिंह खालसा सेवा क्लब में उसकी सक्रिय भागीदारी है. 22 मार्च, 2002 को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) के तहत भारत में ISYF पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. गुरजीत पंजाब में टारगेट किलिंग को अंजाम देने के लिए सिख युवकों को कट्टरपंथी बनाने, भर्ती करने और उन्हें वित्तपोषित करने में शामिल रहा है.

मार्च-अप्रैल 2017 में पंजाब की यात्रा के दौरान, उसने इन गतिविधियों के लिए एक आतंकवादी मॉड्यूल स्थापित करने में मदद की. जुलाई 2016 और मई 2017 में, उसने अपने संचालन का समर्थन करने के लिए मॉड्यूल के सदस्य सुखमनप्रीत सिंह को 75,000 रुपये हस्तांतरित किए. गुरजीत ने लखबीर सिंह रोडे जैसे संपर्कों के माध्यम से पाकिस्तान से आतंकवादी हार्डवेयर की शिपमेंट की सुविधा भी दी और मॉड्यूल के लिए हथियार खरीदने के लिए मार्च 2017 में ग्वालियर, मध्य प्रदेश की यात्रा की.

गुरजिंदर सिंह पन्नू, जो मूल रूप से तरनतारन के नौशहरा पन्नुआन के रहने वाला है. अब कनाडा के हैमिल्टन का निवासी है. उसके पास भी कनाडा की नागरिकता है. ISYF के कार्यकर्ता और सिंह खालसा सेवा क्लब के सदस्य, वह सिख युवकों को कट्टरपंथी बनाने और आतंकवादी मॉड्यूल का समर्थन करने के लिए धन जुटाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं.

जून 2016 और फरवरी 2017 के बीच, गुरजिंदर ने हथियारों की खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिए इन आतंकवादी मॉड्यूल के सदस्यों को 3,70,000 रुपये से अधिक हस्तांतरित किए. गुरप्रीत सिंह, जो मूल रूप से पंजाब के मोगा के रहने वाले हैं और अब कनाडा के ओंटारियो में रहते हैं, वे भी एक कनाडाई नागरिक हैं और ISYF के कार्यकर्ता हैं. वे टोरंटो में सिंह खालसा सेवा क्लब के सक्रिय सदस्य भी हैं. गुरप्रीत पंजाब में लक्षित हत्याओं को अंजाम देने के लिए सिख युवकों को कट्टरपंथी बनाने, भर्ती करने और उन्हें वित्तपोषित करने में शामिल रहे हैं. मार्च 2016 में भारत की यात्रा के दौरान, उन्होंने इस क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक ISYF मॉड्यूल स्थापित किया. नवंबर 2016 में, पाकिस्तान स्थित खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के प्रमुख हरमीत पीएचडी के सहयोग से, जो 2020 में पाकिस्तान में मारा गया था, गुरप्रीत ने मॉड्यूल के सदस्यों के लिए दो पिस्तौल हासिल की.

अप्रैल 2017 में, उसने मॉड्यूल के लिए ग्वालियर से पिस्तौल मंगवाने के लिए अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराई. जून 2016 और फरवरी 2017 के बीच, उसने मॉड्यूल के संचालन को आगे बढ़ाने के लिए 1,00,000 रुपये से अधिक हस्तांतरित किए. कनाडा स्थित गैंगस्टर लखबीर सिंह संधू उर्फ ​​'लांडा' को पिछले साल दिसंबर में गृह मंत्रालय द्वारा आधिकारिक तौर पर 'व्यक्तिगत आतंकवादी' नामित किया गया था.

खालिस्तानी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) का एक नेता, लांडा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवादी के रूप में पहचाना जाने वाला 55वां व्यक्ति है. वह भारत में कई अपराधों के लिए वांछित है, गृह मंत्रालय ने उस पर अन्य आतंकवादी गतिविधियों के अलावा मोहाली में पंजाब पुलिस खुफिया मुख्यालय पर 2022 रॉकेट हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया है.

1989 में पंजाब के तरनतारन में जन्मे लांडा के खिलाफ राज्य भर में 30 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. कनाडा भागने के बाद, वह अब एडमॉन्टन, अल्बर्टा में रहता है. लांडा के पाकिस्तान स्थित गैंगस्टर हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा के साथ घनिष्ठ संबंध होने के बारे में भी जाना जाता है. पिछले साल सितंबर में इन दोनों के नाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की खालिस्तान समर्थक बीकेआई के पांच गुर्गों की सूची में शामिल थे, और उनकी गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वालों को नकद इनाम देने की घोषणा की गई थी.

अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श दल्ला को जघन्य अपराधों में कथित संलिप्तता के लिए पिछले साल जनवरी में गृह मंत्रालय द्वारा नामित आतंकवादी घोषित किया गया था. मूल रूप से पंजाब के मोगा जिले के दल्ला गांव का रहने वाला अर्शदीप कई संगठित आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है. वह खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) जैसे चरमपंथी समूहों से जुड़ा हुआ है. अर्शदीप के संबंध कुख्यात कनाडाई गैंगस्टर गोल्डी बरार से भी हैं, जो लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का सदस्य है. अर्शदीप को हथियारों और ड्रग्स की सीमा पार तस्करी में शामिल होने के लिए जाना जाता है, अक्सर वह पाकिस्तान स्थित गुर्गों के साथ मिलकर काम करता है.

भारत में हथियारों के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता है. उसका आपराधिक नेटवर्क युवाओं को आतंकवादी समूहों में शामिल करने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है. उसकी गतिविधियों के कारण, उसे भारतीय अधिकारियों की ओर से एक बड़े खतरे के रूप में पहचाना गया है और वह एनआईए के रडार पर है, जिसने उसकी गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है.

मीडिया ब्रीफिंग के दौरान, प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि भारत हमेशा से कनाडा से अलगाववादी ताकतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए कहता रहा है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को राजनीतिक कारणों से बढ़ावा दिया जा रहा है.

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