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असम में चाय संस्था ने 1 जून से 200 चाय पत्ती की फैक्ट्रियों को बंद करने का किया फैसला - 200 Tea Factories Will Be Closed

200 Tea Factories Will Be Closed :ऑल असम बोट लीफ मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ने असम में 200 खरीदी गई पत्ती फैक्ट्रियों को बंद करने का फैसला किया है, जो 1 जून से बंद हो जाएंगी. इस फैसले से असम के छोटे चाय उत्पादकों में आक्रोश देखा जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 22, 2024, 8:21 PM IST

200 Tea Factories Will Be Closed
असम चाय बागान (ETV Bharat)

डिब्रूगढ़ : असम बॉट लीफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ABLTMA) ने 1 जून से असम में खरीदी गई पत्ती चाय फैक्ट्रियों को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का फैसला लिया है. यह फैसला चाय खरीदारों के द्वारा कीटनाशक दवाओं के काफी ज्यादा उपयोग के कारण इन फैक्ट्रियों में उत्पादित चाय खरीदने से इनकार करने के परिणामस्वरूप लिया गया है. एसोसिएशन के इस कदम से असम के छोटे चाय उत्पादकों में अत्यधिक निराशा हुई है.

200 Tea Factories Will Be Closed
असम चाय बागान (ETV Bharat)

बता दें, असम में 200 से अधिक खरीदे गए पत्ते के कारखाने हैं. ये फैक्टरियां राज्य के चाय उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि वे छोटे चाय उत्पादकों से हरी चाय की पत्तियां खरीदते हैं जिनके पास अपनी उत्पादन इकाइयां नहीं हैं. ये फैक्टरियां हरी पत्तियों का प्रसंस्करण करती हैं, जो राज्य में कुल चाय उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. राज्य में एक साथ 200 से अधिक फैक्ट्रियों को बंद करने के इस निर्णय से उद्योग पर बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.

200 Tea Factories Will Be Closed
असम बॉट लीफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ETV Bharat)

ऑल असम बोट लीफ मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन (ABLMTA) द्वारा 1 जून से छोटे चाय बागान मालिकों से कच्ची चाय की पत्तियां नहीं खरीदने के फैसले की घोषणा के बाद छोटे चाय उत्पादकों में आक्रोश फैल गया है. अब राज्य के लाखों छोटे चाय उत्पादक गहरी अनिश्चितता में हैं. कच्ची चाय की पत्तियों में रसायनों के इस्तेमाल के परिणामस्वरूप राज्य की मिलों ने 1 जून से छोटे चाय उत्पादकों की कच्ची चाय की पत्तियां नहीं लेने का फैसला किया है.

200 Tea Factories Will Be Closed
असम चाय बागान (ETV Bharat)

राज्य के छोटे चाय उत्पादकों ने एबीएलएमटीए के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है. छोटे चाय बागान मालिकों ने कहा कि एबीएलएमटीए द्वारा पूरी तरह से एकतरफा तरीके से लिया गया निर्णय तर्कहीन फैसला है. इस फैसले से छोटे चाय उत्पादकों द्वारा उत्पादित कच्ची चाय की पत्तियों की कीमतों को कम करने की गहरी साजिश है.

छोटे चाय उत्पादकों की निम्नलिखित शिकायतों के बारे में जानने के बाद Etv भारत ने ABLMTA प्रतिनिधि से संपर्क किया. एबीएलएमटीए के अध्यक्ष चांद कुमार गोहेन ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि वे पूरे मामले को लेकर काफी चिंतित हैं. टी बोर्ड द्वारा उन्हें दिए गए एसओपी के आधार पर 1 जून से कच्ची चाय की पत्तियों की खरीद नहीं होने की बात बताई गई है. टी बोर्ड का आरोप है कि द बोट लीफ फैक्ट्रियों में निर्मित चाय में रसायनों का मिश्रण पाया गया है. लेकिन राज्य के किस हिस्से या जिले में ऐसी समस्या है, इस बारे में कोई खास जानकारी नहीं दे पाए हैं.

एबीएलटीएमए के अध्यक्ष चंद कुमार गोहेन ने आगे कहा कि कुछ छोटे चाय उत्पादक कच्ची पत्तियों पर प्रतिबंधित कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, जो भारतीय चाय बोर्ड द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है. इन बागानों में उत्पादित चाय की पत्तियों में कीटनाशकों का उच्च स्तर होता है, जिससे खरीदारों के बीच सूखी चाय खरीदने में अनिच्छा होती है. इससे हमें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. समाधान के लिए राज्य और केंद्र सरकार और भारतीय चाय बोर्ड तक पहुंचने के बावजूद, अभी तक कोई व्यवहार्य विकल्प प्रदान नहीं किया गया है. इसलिए एबीएलटीएमए को यह कठोर कदम उठाना पड़ा है.

इस बीच असम के उद्योग मंत्री बिमल बोरा ने डिब्रूगढ़ के मारन में इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि असम के चाय उद्योग में छोटे चाय उत्पादकों का योगदान बहुत बड़ा है. लेकिन हाल ही में ऐसी खबरें आई हैं कि असम की चाय फैक्ट्रियों में उत्पादित चाय में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रसायनों की मौजूदगी पाई गई है. बड़ी चाय खरीदने वाली एजेंसी इस बारे में चाय बोर्ड से शिकायत की है. इसीलिए चाय बोर्ड ने बेहतर चाय उत्पादन के निर्देश सभी चाय बागानों और चाय पत्ती वाली फैक्टरियों को भेज दिये हैं.

मंत्री ने यह भी कहा कि 1 जून से छोटे चाय उत्पादकों से कच्ची चाय की पत्तियां नहीं खरीदने के फैसले पर असम बॉट लीफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन और टी बोर्ड के साथ पहले ही चर्चा की जा चुकी है. राज्य के मुख्य सचिव को पहले ही इस मुद्दे को सुलझाने का निर्देश दिया जा चुका है.

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200 Tea Factories Will Be Closed
असम चाय बागान (ETV Bharat)

बता दें, असम में 200 से अधिक खरीदे गए पत्ते के कारखाने हैं. ये फैक्टरियां राज्य के चाय उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि वे छोटे चाय उत्पादकों से हरी चाय की पत्तियां खरीदते हैं जिनके पास अपनी उत्पादन इकाइयां नहीं हैं. ये फैक्टरियां हरी पत्तियों का प्रसंस्करण करती हैं, जो राज्य में कुल चाय उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. राज्य में एक साथ 200 से अधिक फैक्ट्रियों को बंद करने के इस निर्णय से उद्योग पर बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.

200 Tea Factories Will Be Closed
असम बॉट लीफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ETV Bharat)

ऑल असम बोट लीफ मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन (ABLMTA) द्वारा 1 जून से छोटे चाय बागान मालिकों से कच्ची चाय की पत्तियां नहीं खरीदने के फैसले की घोषणा के बाद छोटे चाय उत्पादकों में आक्रोश फैल गया है. अब राज्य के लाखों छोटे चाय उत्पादक गहरी अनिश्चितता में हैं. कच्ची चाय की पत्तियों में रसायनों के इस्तेमाल के परिणामस्वरूप राज्य की मिलों ने 1 जून से छोटे चाय उत्पादकों की कच्ची चाय की पत्तियां नहीं लेने का फैसला किया है.

200 Tea Factories Will Be Closed
असम चाय बागान (ETV Bharat)

राज्य के छोटे चाय उत्पादकों ने एबीएलएमटीए के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है. छोटे चाय बागान मालिकों ने कहा कि एबीएलएमटीए द्वारा पूरी तरह से एकतरफा तरीके से लिया गया निर्णय तर्कहीन फैसला है. इस फैसले से छोटे चाय उत्पादकों द्वारा उत्पादित कच्ची चाय की पत्तियों की कीमतों को कम करने की गहरी साजिश है.

छोटे चाय उत्पादकों की निम्नलिखित शिकायतों के बारे में जानने के बाद Etv भारत ने ABLMTA प्रतिनिधि से संपर्क किया. एबीएलएमटीए के अध्यक्ष चांद कुमार गोहेन ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि वे पूरे मामले को लेकर काफी चिंतित हैं. टी बोर्ड द्वारा उन्हें दिए गए एसओपी के आधार पर 1 जून से कच्ची चाय की पत्तियों की खरीद नहीं होने की बात बताई गई है. टी बोर्ड का आरोप है कि द बोट लीफ फैक्ट्रियों में निर्मित चाय में रसायनों का मिश्रण पाया गया है. लेकिन राज्य के किस हिस्से या जिले में ऐसी समस्या है, इस बारे में कोई खास जानकारी नहीं दे पाए हैं.

एबीएलटीएमए के अध्यक्ष चंद कुमार गोहेन ने आगे कहा कि कुछ छोटे चाय उत्पादक कच्ची पत्तियों पर प्रतिबंधित कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, जो भारतीय चाय बोर्ड द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है. इन बागानों में उत्पादित चाय की पत्तियों में कीटनाशकों का उच्च स्तर होता है, जिससे खरीदारों के बीच सूखी चाय खरीदने में अनिच्छा होती है. इससे हमें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. समाधान के लिए राज्य और केंद्र सरकार और भारतीय चाय बोर्ड तक पहुंचने के बावजूद, अभी तक कोई व्यवहार्य विकल्प प्रदान नहीं किया गया है. इसलिए एबीएलटीएमए को यह कठोर कदम उठाना पड़ा है.

इस बीच असम के उद्योग मंत्री बिमल बोरा ने डिब्रूगढ़ के मारन में इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि असम के चाय उद्योग में छोटे चाय उत्पादकों का योगदान बहुत बड़ा है. लेकिन हाल ही में ऐसी खबरें आई हैं कि असम की चाय फैक्ट्रियों में उत्पादित चाय में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रसायनों की मौजूदगी पाई गई है. बड़ी चाय खरीदने वाली एजेंसी इस बारे में चाय बोर्ड से शिकायत की है. इसीलिए चाय बोर्ड ने बेहतर चाय उत्पादन के निर्देश सभी चाय बागानों और चाय पत्ती वाली फैक्टरियों को भेज दिये हैं.

मंत्री ने यह भी कहा कि 1 जून से छोटे चाय उत्पादकों से कच्ची चाय की पत्तियां नहीं खरीदने के फैसले पर असम बॉट लीफ टी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन और टी बोर्ड के साथ पहले ही चर्चा की जा चुकी है. राज्य के मुख्य सचिव को पहले ही इस मुद्दे को सुलझाने का निर्देश दिया जा चुका है.

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