रांची: अपने अदम्य साहस और वीरता के लिए जाने वाले गोरखा जवानों की बटालियन 'झारखंड आर्म्ड फोर्स' वन के गठन को 145 साल हो गए. इस उपलक्ष्य में झारखंड आर्म्ड फोर्स अपना 145 वां स्थापना दिवस बड़े ही धूमधाम के साथ मना रहा है. स्थापना दिवस के अवसर पर रांची के जैप ग्राउंड में भव्य परेड का प्रदर्शन किया गया. यहां एक सफ्ताह तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
इन जवानों से पाकिस्तान भी खाता है खौफ
डीजीपी अनुराग गुप्ता सहित झारखंड पुलिस के वरीय अधिकारी मौजूद रहे. स्थापना दिवस पर सबसे पहले शहीदों को सलामी दी गई. जैप के स्थापना दिवस के मौके पर राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि यह भारत की सबसे पुरानी वाहिनी है. इसकी स्थापना जनवरी 1880 में न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से हुई थी. हमारी इस बटालियन से पाकिस्तान भी खौफ खाता है. डीजीपी ने कहा कि पाकिस्तान का सिख रेजिमेंट के जवान और गोरखा के जवानों के हुंकार से डरना, ये इतिहास भी बताता है.
जनवरी 1880 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस वाहिनी की स्थापना न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से हुई थी. वर्ष 1892 में इस वाहिनी को बंगाल मिलिट्री पुलिस का नाम दिया गया. इस वाहिनी की टुकडियों की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, बंगाल एवं ओडिशा को मिलाकर की जाती रही. वर्ष 1905 में इस वाहिनी का नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री रखा गया. राज्य के अन्य स्थानों पर प्रतिनियुक्त गोरखा सिपाहियों को भी इस वाहिनी में समंजित किया गया.
अलग झारखंड में बना जैप
देश में स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में इस वाहिनी का नाम बदलकर प्रथम वाहिनी बिहार सैनिक पुलिस रखा गया था. इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही, जिसमें वर्ष 1902 से 1911 तक देहली दरबार, वर्ष 1915 में बंगाल, 1917 में मयूरभंज, मध्य प्रदेश, 1918 में सरगुजा मध्य प्रदेश, 1935 में पंजाब, 1951 में हैदराबाद, 1953 में जम्मू-कश्मीर, 1956 में असम (नागालैंड), 1962 में चकरौता (देहरादून), 1963 में नेफा, 1968-69 में नेफा के प्रशिक्षण केंद्र हाफलौंग असम आदि शामिल हैं.
वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय भी इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्यो के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था. उस वक्त साहसपूर्ण कार्यो के लिए वाहिनी को भारत सरकार ने पूर्वी सितारा पदक से अलंकृत किया था. वर्ष 1982 में दिल्ली में आयोजित नवम एशियाड खेलकूद समारोह के दौरान इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति की गई. जहां बेहतर कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने सराहा था. वर्ष 2000 में बिहार से अलग झारखंड गठन के बाद इस वाहिनी का नाम झारखंड सशस्त्र पुलिस वन (जैप वन) रखा गया.
आनंद मेले का भी आयोजन
जैप स्थापना दिवस के अवसर पर परिसर में ही आनंद मेले का भी आयोजन किया गया है. मेले में 60 स्टॉल लगाए गए हैं. आनंद मेले में प्राइड ऑफ गोरखा स्टॉल लगाया गया है. इसमें गोरखा समाज की उपलब्धि, उनकी संस्कृति को दर्शाया गया है.
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