पटना : लोकसभा चुनाव का समय चल रहा है और 1 जून को पटना में मतदान होना है. विभिन्न पार्टियों के समर्थक अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांगते नजर आ रहे हैं. लेकिन इसी बीच पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के लोहानीपुर स्थित एक मकान है 'चंदेल निवास', जो चर्चा का विषय बना हुआ है. वजह यह है कि चंदेल निवास में रहने वाले परिवार में कुल 110 मतदाता हैं. कहा जाता है यहां के वोट हर प्रत्याशी के लिए काफी अहम होता है.
चर्चा में पटना का चंदेल निवास : 'चंदेल निवास' में सभी पढ़े लिखे और काफी जागरूक नागरिक हैं. मतदान से पहले घर में मतदान को लेकर उम्मीदवारों पर चर्चा करते हैं. फिर एक उम्मीदवार के प्रति आम सहमति बनती है. फिर परिवार के 70 से 80 फीसदी वोट उस उम्मीदवार को चले जाते हैं. इस बार परिवार के सदस्यों का दो मतदान केंद्रों पर मतदाता सूची में नाम है. कुछ का बूथ संख्या 153 पर तो कुछ का 183 पर नाम है जहां जाकर वोट करेंगे.
उम्मीदवारों के समर्थक लगाते हैं चक्कर : चंदेल निवास अपने आप में एक बहुत बड़ा वोट बैंक है. यही वजह है कि सुबह से लेकर शाम तक उम्मीदवारों के समर्थक अपने उम्मीदवार के समर्थन के लिए चंदेल निवास के दरवाजे पर भटकते रहते हैं. इस बार परिवार में 10 नए मतदाता जुड़े हैं जिसमें 6 महिला और चार पुरुष सदस्य हैं.
'घर में होता है मिनी चुनाव' : चंदेल निवास परिवार से पहली बार मतदाता बने आदर्श कुमार सिंह बताते हैं कि, पहली बार वह मतदान करेंगे और इस बार उनके लिए रोजगार और विकास प्रमुख मुद्दा है. उन्होंने बताया कि चुनाव से पहले एक मिनी चुनाव उनके घर में होता है. जिसमें उम्मीदवारों के प्रति एक रुझान बनाया जाता है. लेकिन जब मतदान करने की बारी आती है तो सभी अपने मन से वोट करते हैं, पक्ष और विपक्ष दोनों में परिवार के सदस्य मतदान करते हैं.
''वोट करने से पहले परिवार का तो मत लेना ही होता है, लेकिन मैं विकास के साथ हूं. महंगाई और बेरोजगारी की मार है. यहां की सड़क काफी खराब है. पूरा परिवार चुनाव में एकजुट होकर वोट करता है और सभी का अपना मत भी होता है. महिला होने के नाते इस बार उनके लिए महिलाओं की सुरक्षा तो मुद्दा है ही लेकिन साथ-साथ विकास भी एक प्रमुख मुद्दा है.''- कल्पना सिंह, चंदेल परिवार की महिला सदस्य
''हमलोग परिवार के मत के अनुसार चलते हैं. परिवार जिसे वोट देने का निर्णय ले लेता है उसे वोट कर आती हूं.''- सुमन सिंह, चंदेल परिवार की महिला सदस्य
शिक्षा और प्रगति है मुद्दा : फर्स्ट टाइम वोटर अनुष्का कुमारी ने बताया कि उनके लिए एजुकेशन प्रमुख मुद्दा है. बिहार में सरकार एजुकेशन की स्थिति बेहतर करने की दिशा में काम कर रही है और अच्छा लग रहा है. आभा सिंह ने बताया कि स्त्रियों की सुरक्षा के क्षेत्र में हमारी सरकार ने बहुत काम किया है और स्कूलों की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है. देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है और कई अनसुलझे मुद्दे भी अब सुलझ चुके हैं. ऐसे में वह इस बार एक मजबूत सरकार की तरफ कदम बढ़ाएंगी ताकि उनका और देश का भविष्य सुरक्षित हाथों में रहे.
प्राथमिकता में स्थानीय मुद्दे : पटना के एक मैनेजमेंट संस्थान में पढ़ाने वाले परिवार के सदस्य शिवेंद्र सिंह बताते हैं कि उनके लिए डेवलपमेंट इस बार मुद्दा है. क्षेत्र में स्थानीय सांसद के दर्शन नहीं हुए हैं और रोड जर्जर है, नाली टूटी हुई है, साफ सफाई की व्यवस्था सही नहीं है. यह सब दुरुस्त करने की जो बात करेगा उस पर विचार किया जाएगा.
''पहले सभी उम्मीदवारों को लेकर चर्चा होती है और इसमें मत भिन्नता भी होती है. लेकिन इसमें एक उम्मीदवार के प्रति आम राय बनती है और परिवार के अधिकांश सदस्य उसको वोट करते हैं. चुनाव से ठीक 1 दिन पहले परिवार के सभी सदस्य चाहे महिला हो या पुरुष एक साथ बैठकर चर्चा करते हैं. युवा हो या बुजुर्ग सभी अपने विचार प्रकट करते हैं और उसके बाद एक उम्मीदवार के प्रति आम सहमति बनाई जाती है.''- सुरेंद्र प्रसाद सिंह, परिवार के वरिष्ठ सदस्य
सभी को अपने मन से मतदान करने की छूट : परिवार के सदस्य और मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले अमित गौतम ने बताया कि देश हित और विकास के मुद्दे पर हमेशा वोट करते हैं. लोकसभा चुनाव का समय होता है तो आम राय बनने के बावजूद सभी को इतनी छूट रहती है कि वह अपने मन से पक्ष विपक्ष के उम्मीदवारों को वोट करें. लेकिन जब विधानसभा और नगर पंचायत की चुनाव होता है तो परिवार के सभी सदस्यों का मत एक हो जाता है और परिवार के सभी सदस्यों का वोट एक ही उम्मीदवार को जाता है.
'31 मई को तय हो जाएगा' : परिवार के वरिष्ठ सदस्य अरुण कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक उनके दरवाजे पर कोई उम्मीदवार नहीं आए हैं. उम्मीदवारों के समर्थक जरूर आते हैं जो लोकल लेवल पर राजनीति में है. अभी चुनाव में 5-6 दिन का समय है और 31 मई को तय हो जाएगा कि परिवार के अधिकांश सदस्यों का वोट किधर जाएगा. लोकतंत्र है सभी को अपने मन से मत देने का अधिकार है और यह छूट होती है लेकिन यह परिवार की एक जुटता है कि जिसके प्रति एक आम राय बनती है, उसे ही परिवार का अधिकांश वोट जाता है.
165 लोगों का है परिवार : बता दें कि चंदेर परिवार में कुल 165 लोग हैं, जिसमें 35 लोग बाहर रहते हैं. कुछ विदेश में रहते हैं तो कुछ मुंबई, दिल्ली, नोएडा जैसे शहरों में रहते हैं. परिवार में कुल 110 मतदाता हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति परिवार के सभी सदस्य जागरूक हैं. परिवार में 24 इंजीनियर, दो डॉक्टर, 4 न्यायिक सेवा में और दो दर्जन से अधिक सदस्य कॉरपोरेट जॉब में है. परिवार में महिलाएं भी काफी संख्या में जॉब में है.
मूल रूप से वैशाली के रहने वाले हैं : परिवार के वरिष्ठ सदस्य 74 वर्षीय अरुण कुमार सिंह ने बताया कि साल 1974 उन्होंने पटना में यहां जमीन खरीदा था. उनके पिताजी दो भाई थे और दोनों भाई के लिए संयुक्त रूप से यह जमीन खरीदा गया. मूल रूप से वह वैशाली जिला के राघोपुर के हैं और जमींदारी अच्छी खासी है. उस जमाने में धनिया की फसल को बेचकर पटना का यह जमीन खरीदा गया था. आज उनके नाती पोते सभी हैं.
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