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12 वर्ष की उम्र में पति को खोया, 83 साल में अब परुली देवी को मिलेगी पति की पेंशन

सरकारी सिस्टम की लापरवाही के चलते परुली देवी को करीब 4 दशक तक सेना की पेंशन नहीं मिल पाई. अब सरकार पेंशन के साथ 44 साल के एरियर का भुगतान भी करेगी.

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Published : Apr 8, 2021, 1:55 PM IST

Updated : Apr 14, 2021, 4:14 PM IST

paruli devi
परुली देवी

पिथौरागढ़: देवलथल तहसील के लोहकोट गांव निवासी परुली देवी को 44 साल बाद पेंशन मिलने जा रही है. 83 वर्षीय परुली देवी के पति गगन सिंह भारतीय सेना में तैनात थे. मात्र 12 साल की उम्र में ब्याही परुली देवी के पति की मौत भारतीय सेना में ड्यूटी के दौरान 1952 में हो गई थी. लेकिन सरकारी सिस्टम की लापरवाही के चलते बीते 44 साल तक उन्हें सेना की पेंशन नहीं मिल सकी. पिथौरागढ़ कोषागार के सेवानिवृत्त उप कोषाधिकारी डीएस भंडारी के प्रयास से अब परुली देवी की पेंशन स्वीकृत हो गई है. उन्हें 22 सितंबर 1977 से 44 वर्ष की पेंशन का एरियर का भुगतान किया जा रहा है. जो कि करीब 19 से 20 लाख रुपये मिलने का अनुमान है.

बता दें कि परुली देवी का मायका पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के लिंठ्यूड़ा गांव में है. परुली देवी का विवाह 10 मार्च 1952 को देवलथल क्षेत्र के लोहाकोट निवासी सैनिक गगन सिंह के साथ हुआ था. शादी के दो महीने बाद 14 मई 1952 को ड्यूटी के दौरान राइफल की गोली चलने से गगन सिंह की मृत्यु हो गई थी. मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही परुली देवी विधवा हो गई.

83 वर्षीय परुली देवी को पति की मौत के 69 साल बाद मिलेगी पेंशन.

इस हादसे के बाद परुली देवी लिंठ्यूड़ा स्थित अपने मायके में ही आकर रहने लगीं. सरकारी सिस्टम की लापरवाही के चलते बीते 44 साल तक उन्हें सेना की पेंशन नहीं मिल सकी. पिथौरागढ़ कोषागार के सेवानिवृत्त उप कोषाधिकारी डीएस भंडारी के प्रयास से अब परुली देवी की पेंशन स्वीकृत हो गई है. साल 1985 से लागू पारिवारिक पेंशन के लिए चलते परुली देवी को पेंशन मिल जानी चाहिए थी, जो कि उन्हें मिली नहीं. अब सालों की लंबी लड़ाई के बाद परुली देवी को 22 सितंबर 1977 से 44 वर्ष की पेंशन का एरियर का भुगतान किया जा रहा है. जो कि करीब 19 से 20 लाख रुपये मिलने का अनुमान है.

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परुली देवी की पेंशन स्वीकृत करने में पिथौरागढ़ के सेवानिवृत्त उपकोषाधिकारी डीएस भंडारी ने अहम भूमिका निभाई. इस प्रक्रिया में काफी मुश्किलें भी आईं. कई कठिनाइयों और कोशिशों के बाद आखिर कोशिश रंग लाई, 18 जनवरी 2021 को प्रयागराज के प्रधान नियंत्रक रक्षा लेखा ने उनकी पेंशन स्वीकृति के आदेश दिये, सालों संघर्ष के बाद हक मिलने पर परुली देवी अब काफी खुश हैं.

डीएस भंडारी ने बताया कि परुली देवी की पेंशन 22 सितंबर 1977 से स्वीकृत हुई है. इसलिए उन्हें 44 साल की पेंशन का एरियर 19 से 20 लाख रुपये मिलने का अनुमान है. पति के निधन के 69 साल बाद 83 वर्ष की उम्र में पेंशन लगने से परुली देवी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि जिंदगी में उन्हें काफी दुख झेलने पड़े हैं. लेकिन वो अब अपने परिवार के साथ इस खुशी को बांटना चाहती हैं.

पहले क्या था पेंशन का नियम

भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग के नियमानुसार, मृत्यु के लिए पेंशन तब दी जाती है जब किसी की सेवा में मृत्यु हो जाती है, या सैन्य सेवा के कारण या युद्ध या आतंकवाद विरोधी अभियानों के कारण मौत हुई हो. फैमिली पेंशन नेचुरल डेथ के केस में आखिरी सैलरी का तीस फीसदी दी जाती है. परुली के पति गगन की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से नहीं हुई थी.

  • जुलाई 1977 में एक महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस रूल को चैलेंज किया था कि सिर्फ वार विडो ही आर्मी से पेंशन के काबिल होंगी.
  • साल 1985 में जज ने उनके फेवर में फैसला सुनाया था.
  • इस फैसले को आधार बनाते हुए डीएस भंडारी ने इलाहाबाद और रानीखेत में कुमाऊं रेजीमेंट सेटर में मामला उठाया.
  • सात साल की लंबी जिरह के बाद आखिकार कुमाऊं रेजीमेंट ने परुली देवी का दावा मंजूर किया, जिसके बाद उनकी पेंशन शुरू कर दी गई.
  • जुलाई 1977 से अबतक के पेंशन बकाया के रूप में उन्हें 20 लाख रुपये दिए जाएंगे.

परूली देवी के भाई के बेटे प्रवीण लुंठी भी सालों की इस जीत के बाद खुश हैं, मगर वे थोड़ा इस बात से भी आहत हैं कि सेना ने इतने लंबे समय तक भी पेंशन की हकदार होने के बाद भी कोई पहल नहीं की. अब सालों की जद्दोजहद और लंबी लड़ाई के बाद परुली देवी की पेंशन शुरू हो गई है. सालों से अभावों में जीवन जी रही परुली देवी को इस पेंशन से काफी राहत मिलेगी.

Last Updated : Apr 14, 2021, 4:14 PM IST

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