पिथौरागढ़: चेहरें पर छाई झुर्रियां, आंखों में उम्मीद के सपने लिये ये बुजुर्ग परुली देवी हैं, 81 वर्ष भी उम्र में सालों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार परुली देवी को पेंशन मिलने जा रही है. सरकारी सिस्टम की लापरवाही कहें या फिर किस्मत का खेल, जो परुली देवी को अपने ही हक के लिए सालों संघर्ष करना पड़ा, लंबी लड़ाई के बाद अब परुली देवी को 22 सितंबर 1977 से अबतक 44 साल की पेंशन और एरियर का भुगतान किया जाएगा, इस हिसाब से उन्हें करीब 19 से 20 लाख रुपये मिलने का अनुमान है.
देवलथल तहसील के लोहकोट गांव निवासी परुली देवी 81 वर्ष की हैं. परुली देवी के पति गगन सिंह भारतीय सेना में तैनात थे. परुली देवी का विवाह 10 मार्च 1952 को देवलथल क्षेत्र के लोहाकोट निवासी सैनिक गगन सिंह के साथ हुआ था. शादी के दो महीने बाद 14 मई 1952 को ड्यूटी के दौरान राइफल की गोली चलने से गगन सिंह की मृत्यु हो गई थी. मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही परुली देवी विधवा हो गई.
इस हादसे के बाद परुली देवी लिंठ्यूड़ा स्थित अपने मायके में ही आकर रहने लगीं. सरकारी सिस्टम की लापरवाही के चलते बीते 44 साल तक उन्हें सेना की पेंशन नहीं मिल सकी. पिथौरागढ़ कोषागार के सेवानिवृत्त उप कोषाधिकारी डीएस भंडारी के प्रयास से अब परुली देवी की पेंशन स्वीकृत हो गई है. साल 1985 से लागू पारिवारिक पेंशन के लिए चलते परुली देवी को पेंशन मिल जानी चाहिए थी, जो कि उन्हें मिली नहीं. अब सालों की लंबी लड़ाई के बाद परुली देवी को 22 सितंबर 1977 से 44 वर्ष की पेंशन का एरियर का भुगतान किया जा रहा है. जो कि करीब 19 से 20 लाख रुपये मिलने का अनुमान है.
पढ़ें-अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है या VHP का कार्यालयः स्वरूपानंद सरस्वती
परुली देवी की पेंशन स्वीकृत करने में पिथौरागढ़ के सेवानिवृत्त उपकोषाधिकारी डीएस भंडारी ने अहम भूमिका निभाई. इस प्रक्रिया में काफी मुश्किलें भी आईं. कई कठिनाइयों और कोशिशों के बाद आखिर कोशिश रंग लाई, 18 जनवरी 2021 को प्रयागराज के प्रधान नियंत्रक रक्षा लेखा ने उनकी पेंशन स्वीकृति के आदेश दिये, सालों संघर्ष के बाद हक मिलने पर परुली देवी अब काफी खुश हैं.
पढ़ें-सीएम तीरथ का बड़ा फैसला- देवस्थानम बोर्ड से मुक्त होंगे 51 मंदिर, बोर्ड भंग करने पर भी विचार