हल्द्वानीः कहावत है कि 'बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद' भले बंदर को अदरक के स्वाद का पता न हो लेकिन, पहाड़ के काश्तकारों को अदरक का स्वाद खूब भा रहा है. जिन्होंने अब पारंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती शुरू कर दी है. वहीं, जंगली जानवर भी अदरक की खेती को नुकसान नहीं पहुंचाते, लिहाजा पहाड़ के काश्तकारों ने अदरक की खेती वरदान साबित हो रही है. पहाड़ के काश्तकार अदरक की खेती करके खूब मुनाफा कमा रहे हैं. देखिए एक रिपोर्ट...
पहाड़ के काश्तकार बंदर और जंगली जानवर के आतंक से परेशान हैं और खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. ऐसे में पहाड़ के काश्तकारों के आगे रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो रहा है. तो पलायन भी मुख्य वजहों में से एक है.
वहीं,अब पहाड़ के किसानों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए पारंपरिक खेती छोड़कर अदरक की खेती को अपनाया है. काश्तकारों की मानें तो जंगली जानवर उनकी पारंपरिक खेती को काफी नुकसान किया करते थे. ऐसे में उन्होंने खेती करना छोड़ दिया था, लेकिन अब उन्होंने अदरक की खेती को अपनाया है, जिसे जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. साथ ही अदरक की खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.