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चिदानंद मुनि अतिक्रमण प्रकरणः हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया 29 दिसंबर तक का वक्त

मुनि चिदानंद के द्वारा हरिद्वार के उनाऊ गांव की वन भूमि पर किए गए अवैध निर्माण व अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने राज्य सरकार को 29 दिसंबर तक शपथ पत्र पेश करने आदेश दिए हैं.

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Published : Dec 23, 2020, 9:13 PM IST

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नैनीताल:परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि की मुश्किलें बढ़ गई है. वन विभाग की भूमि पर अवैध अतिक्रमण मामले में दायर जनहित याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

राज्य सरकार को दिया 29 दिसंबर तक का वक्त

दरअसल, हरिद्वार निवासी अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार से करीब 14 किलोमीटर दूर राजाजी नेशनल पार्क में वन विभाग की भूमि पर स्वामी चिदानंद मुनि की ओर से 2006 से भारी निर्माण किया जा रहा है. स्वामी चिदानंद करीब 100 बीघा जमीन पर कब्जा कर चुके हैं. इसके बावजूद वन विभाग ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की.

याचिकाकर्ता के मुताबिक, वन विभाग की जमीन पर स्वामी चिदानंद मुनि अवैध निर्माण करा रहे हैं. लिहाजा इस निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ की खंडपीठ ने मुनि चिदानंद द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे.

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जिसके बाद याचिकाकर्ता विवेक शुक्ला ने हाई कोर्ट में एक और प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि मुनि चिदानंद व 48 अन्य परिवारों द्वारा हरिद्वार के उनाऊ गांव में भी अवैध अतिक्रमण किया गया है. लिहाजा मुनि चिदानंद द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त किया जाए.

आज मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सरकार डिविजनल फॉरेस्ट कमेटी का गठन कर क्षेत्र में रह रहे और 48 परिवारों की जांच कर पता लगाएं कि क्षेत्र में इन लोगों को वन भूमि (जंगल) में रहने का अधिकार है या नहीं? साथ ही इसकी रिपोर्ट 29 दिसंबर तक हाई कोर्ट में पेश करे.

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