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बच्चों के परिजनों का आरोप, पतंजलि गुरुकुलम ने मांगे हर छात्र के 50 हजार

पतंजलि गुरुकुलम हरिद्वार (Patanjali gurukulam haridwar) में पढ़ने गए बच्चों को वापस लाने के लिए पैसे मांगने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि बच्चों को वापस लाने के लिए कुछ राशि मांगी जा रही थी. मामले में छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री सचिवालय (cm secretariat) और गरियाबंद प्रशासन की दखल के बाद बच्चों को परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है.

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Published : May 28, 2021, 6:18 PM IST

Updated : May 28, 2021, 6:45 PM IST

पतंजलि गुरुकुलम हरिद्वार
पतंजलि गुरुकुलम हरिद्वार

हरिद्वार/छत्तीसगढ़: पतंजलि गुरुकुलम हरिद्वार (Patanjali gurukulam haridwar) स्थित वैदिक कन्या गुरुकुलम से गरियाबंद जिले के चार बच्चों को सकुशल उनके पालकों को सुपुर्द कर दिया गया है. बच्चों के पालक कौशल कुमार सिन्हा और ललित राम सिन्हा ने बताया कि गुरुकुलम प्रबंधन से बातचीत के बाद बच्चों को उन्हें सकुशल सुपुर्द किया गया है.

जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे

परिजनों से की जा रही थी धनराशि की मांग

बताया जा रहा है कि देवभोग ब्लॉक के धौराकोट और छैलडोंगरी के रहने वाले 4 बच्चों को वापस गृह ग्राम भेजने के लिए इनकार किया जा रहा था. पालकों ने इन चारों बच्चों को पढ़ाई के लिए हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ संस्थान के पतंजलि गुरुकुलम भेजा था. यहां की व्यवस्था से असंतुष्ट पालकों ने बच्चों को वापस बुलाने की ठानी. जब बच्चों के अभिभावक उन्हें वापस लेने गए, तब पालकों से पैसों की मांग की गई.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी जानकारी.

सीएम के निर्देश पर कलेक्टर ने की कार्रवाई

पालकों ने मामले की शिकायत छत्तीसगढ़ में की. जिसके बाद तत्काल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) के निर्देश पर गरियाबंद कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर (gariaband collector nileshkumar kshirsagar) ने उत्तराखंड में पदस्थ अपने बैचमेट IAS आशीष श्रीवास्तव के जरिए हरिद्वार के कलेक्टर से चर्चा कर मामले की जानकारी दी. इसके बाद तत्काल ही वैदिक गुरुकुलम के प्रबंधन से बातचीत कर बच्चों को परिजनों को सौंपा गया.

एसपी ने भी की पहल

गरियाबंद एसपी भोजराज पटेल (gariaband sp bhojraj patel) ने भी उत्तराखंड में पदस्थ अपनी बैचमेट IPS तृप्ति भट्ट के जरिए चर्चा कर हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक से आवश्यक कार्रवाई के लिए बात की. बच्चों के अभिभावक कौशल कुमार सिन्हा ने बताया कि गुरुवार रात 10:40 बजे चारों बच्चों को उन्हें सुपुर्द किया है. जिला प्रशासन की पहल से परिजन पूरी तरह संतुष्ट हैं. कौशल सिन्हा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संवेदनशील प्रयासों के लिए भी उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया है. साथ ही कलेक्टर निलेश क्षीरसागर और एसपी भोजराज पटेल को भी त्वरित कार्रवाई के लिए धन्यवाद दिया है.

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ये था पूरा मामला

कौशल कुमार सिन्हा और उनके परिजनों के बच्चे पतंजलि आचार्यकुलम में पढ़ने गए थे. बच्चों की मां की तबीयत बेहद खराब थी. वो अपने बच्चों को बहुत याद कर रही थी. लिहाजा परिवार के लोग छत्तीसगढ़ से आचार्यकुलम अपने बच्चों को लेने आए, लेकिन वहां के मैनेजमेंट ने बच्चों को तब तक ले जाने की अनुमति नहीं दी, जब तक प्रति बच्चा 50 हजार यानी चारों बच्चों के 2 लाख रुपये जमा न हो जाएं. लेकिन परिवार ने पैसे देने में अपनी असमर्थता जताई.

परिवार ने लिखा पत्र

परिवार ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को एक पत्र लिखा. जिसमें यह सभी बातें कही गईं. किसी तरह से देर शाम जिलाधिकारी और एसएसपी के हस्तक्षेप के बाद आचार्यकुलम (गुरुकुलम) से परिवार बच्चों को ले जाने में कामयाब हो गया. बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी गरियाबंद जिलाधिकारी निलेश कुमार क्षीरसागर को निर्देश दिया था. जिसके बाद उन्होंने अपने स्तर पर अधिकारियों से बातचीत की और बच्चों को छुड़वाया.

सीएम ने किया ट्वीट

इस मामले में सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट करते हुए बच्चों को छुड़ाने के लिए गरियाबंद प्रशासन की सराहना की है. साथ ही उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है. सीएम ने लिखा है कि पतंजलि गुरुकुल स्कूल में छत्तीसगढ़ के 4 छात्रों को बंधक बनाए जाने की शिकायत मुझ तक पहुंची थी. गरियाबंद कलेक्टर और एसपी की पहल पर बंधक बनाए गए बच्चों को छोड़ दिया गया है. मैं बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं.

पतंजलि योगपीठ के प्रवक्ता का बयान

वहीं बाबा रामदेव के प्रवक्ता एसके तिजारावाला का कहना है कि यह सब आरोप बेबुनियाद हैं. आचार्यकुलम में जो कोई भी विद्यार्थी पढ़ने आता है, वह आचार्य बनने आता है. ऐसे में जब यहां पर किसी का दाखिला होता है, तो सभी नियम-कायदे उन्हें बताए जाते हैं. जिस वक्त बच्चों का दाखिला हो रहा था, उस वक्त तमाम कागजी कार्रवाई भी होती है, क्योंकि पतंजलि एक प्रतिष्ठित संस्थान है. लिहाजा यहां पर किसी तरह का कोई हेरफेर नहीं हो सकता. परिवार जो बात कह रहा है, वह बेबुनियाद है. किसी भी संस्थान को चलाने के लिए नियम जरूरी होते हैं. अगर वह बच्चों को ले जाना चाहते थे, तो जो भी फॉर्मेलिटीज होती हैं, वह पूरी नहीं कर रहे थे. इसीलिए उन्हें इंतजार करना पड़ा. बाद में सभी चीजें सही होने पर बच्चों को परिजनों के साथ भेज दिया गया है.

Last Updated : May 28, 2021, 6:45 PM IST

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