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महाशिवरात्रि 2020: भोले के जयकारों से गूंजे शिवालय, कांवड़ियों ने भरा जल

शिवरात्रि के पावन पर्व पर शिवभक्त हरिद्वार हरकी पैड़ी से गंगाजल भरकर अपने आराध्य भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए निकल पड़े हैं. कहते हैं त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति जल के अंदर है. इस जल से जलाभिषेक करने से शिव भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं.

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Published : Feb 21, 2020, 7:02 AM IST

Updated : Feb 21, 2020, 7:36 AM IST

Haridwar Hindi News
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हरिद्वार: शिवरात्रि यानी शिव पार्वती के विवाह का शुभ दिन और इसीलिए शिवरात्रि पर भगवान शिव के भक्त दूर-दूर से हरिद्वार आकर मां गंगा से जल भरकर अपने आराध्य भगवान शिव को चढ़ाने के लिए पैदल कांवड़ यात्रा करते हैं. शास्त्रों में वर्णन है भगवान शिव को जल अति प्रिय है और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. साल में दो बार शिवभक्त पैदल कांवड़ यात्रा लेकर जाते हैं. एक बार सावन में और एक बार महाशिवरात्रि पर. मान्यता है कि शिवरात्रि पर पैदल कांवड़ ले जाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. शिव अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं. आखिर शिवरात्रि पर क्यों लेकर जाते हैं भोले के भक्त कांधे पर कांवड़?

शिवरात्रि महापर्व का सनातन परंपराओं में है विशेष महत्व.

बम-बम भोले के जयकारों से हरिद्वार गुंजायमान है, क्योंकि इस वक्त हरिद्वार में हर तरफ भोले के भक्त ही दिखाई दे रहे हैं. भक्त अपने आराध्य भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए मां गंगा से जल भरकर अपने अपने गंतव्य की ओर रवाना हो रहे हैं. आज महाशिवरात्रि का पर्व है. सभी शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करेंगे.

ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि शिवरात्रि के पावन पर्व पर शिवभक्त हरिद्वार हरकी पैड़ी से गंगा जल भरते हैं, क्योंकि त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति जल के अंदर है. इस जल से जलाभिषेक करने से शिव भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं. कांवड़िया पैदल कांवड़ कंधे पर लेकर जाते हैं. इससे उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है.

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि शिवरात्रि के दो महत्व हैं. एक वाम मार्ग है और एक दक्षिण मार्ग है. वाम मार्ग के हिसाब से यह शिव और पार्वती के मिलन की रात्रि होती है. विशेष रूप से इस रात्रि में तांत्रिक लोग रात भर जागरण करके तंत्र की साधना करते हैं और दक्षिण मार्ग जो गृहस्थ लोग अपनी मनोकामना के लिए चार पहर की पूजा करते हैं. हर पहर में अलग-अलग वस्तुओं से शिव का पूजन होता है. पहले पहर में दूध से अभिषेक किया जाता है, दूसरे पहर में गन्ने के रस से लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए, तीसरे पहर में घी से दीर्घायु के लिए और चौथे पहर में गंगाजल से शिव का अभिषेक कर मोक्ष की कामना करते हैं.

पढ़ें- महाशिवरात्रि 2020: टपकेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक का विशेष महत्व, भक्तों की मनोकामना होती है पूरी

हरिद्वार पहुंचे कांवड़ियों का कहना है कि वो कई सालों से शिवरात्रि पर जल लेने हरिद्वार आते हैं. कांवड़ लेकर जाना उन्हें बहुत ही अच्छा लगता है. शिवभक्तों का कहना है कि भगवान शिव से वो जो भी मुराद मांगते हैं, भगवान शिव उनकी सभी मुराद पूरी करते हैं.

Last Updated : Feb 21, 2020, 7:36 AM IST

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