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तीनों बैरागी अखाड़ों ने खुद को अखाड़ा परिषद से किया अलग, नरेंद्र गिरि ने कहा वार्ता से सुलझाएंगे

बैरागी समुदाय के तीनों अखाड़ों ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बहिष्कार कर इसे भंग कर दिया है. उनका कहना है कि जल्द ही चुनाव करवा कर नई अखाड़ा परिषद का गठन किया जाएगा. वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने ईटीवी से बातचीत कर कहा कि वे इस मामले में बैरागी समुदाय से बात की जा रही है.

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Published : Feb 12, 2021, 5:04 PM IST

Updated : Feb 12, 2021, 10:26 PM IST

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बहिष्कार

हरिद्वार: कुंभ मेला 2021 में व्यवस्थाएं दुरुस्त न होने से नाराज और शासन की उपेक्षा झेल रहे बैरागी समुदाय के तीनों अखाड़ों ने आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बहिष्कार कर दिया है. जिससे अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में दो फाड़ हो गए हैं. बैरागी अखाड़ों के साधु-संतों ने आज बैरागी कैम्प में बैठक कर तीनों अखाड़ों पर अनदेखी का आरोप लगाया. बैरागी समुदाय के संन्यासी, उदासीन और निर्मल संप्रदाय के तीनों अखाड़ों ने अपने आप को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से अलग करते हुए परिषद को भंग कर दिया है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद भंग

बैरागी अखाड़ों के साधु-संतों ने जल्द अखाड़ा परिषद के चुनाव कराने की बात कही है. श्री पंच निर्मोही अखाड़े के बाबा हठयोगी का कहना है कि आज से अखाड़ा परिषद को भंग समझा जाए. बैरागी संन्यासी, उदासीन और निर्मल चार सम्प्रदाय मिलकर अखाड़ा परिषद बनाते हैं. एक सम्प्रदाय के अलग होने से ही अखाड़ा परिषद भंग हो जाती है.

कुंभ मेले में बैरागियों को धर्म ध्वजा, कैंप लगाने, चरणपादुका के लिए भी अनुमति नहीं दी जा रही है. इस बार कुंभ मेले में बैरागियों की उपेक्षा और तिरस्कार किया जा रहा है. शासन-प्रशासन की नीति के अनुसार कुंभ मेले में बैरागी साधु-संत आ ही नहीं सकेंगे. उन्होंने कहा सुनवाई न होने पर हमने अखाड़ा परिषद को भंग कर दिया है. अखाड़ा परिषद के भंग होने से अगले महीने चुनाव कर नई अखाड़ा परिषद का गठन भी किया जाएगा.

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वहीं, बैरागी अखाड़े के साधु संतों का यह भी कहना है कि हमें बड़े दुखी मन से अखाड़ा परिषद को भंग करना पड़ा है. अखाड़ा परिषद एक पंचायती व्यवस्था है जो कि 13 अखाड़े मिलकर बनाते हैं. अखाड़ा परिषद में कोई व्यक्ति विशेष अपनी हठधर्मिता चलाये ऐसा संभव नहीं है. अखाड़ा परिषद की बैठक में कुंभ मेले की व्यवस्थाओं को लेकर सभी बिंदु तय किए गए थे. बैठक में बैरागियों द्वारा कहा गया था कि बिना टेंट के कुंभ मेला नहीं किया जाएगा. उसके बावजूद शासन के पास जाकर कह आये कि आप जो भी करो उसको हम मानेंगे.

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उत्तराखंड शासन इस मेले को अपना विशेषाधिकार बना रहा है. यह मेला सार्वजनिक होता है. उत्तराखंड सरकार को पहले इस बात को समझने की जरूरत है. शासन इस बात का जवाब भी दे कि वह बैरागियों की उपेक्षा क्यों कर रहा है? अखाड़ा परिषद अब असंवैधानिक है.

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अखाड़ा परिषद को भंग करने को लेकर स्वामी जगतगुरु रामानंदाचार्य अयोध्याचार्य महाराज का कहना है कि जब तक नई अखाड़ा परिषद का चुनाव नहीं होता तब तक अखाड़ा परिषद को भंग ही समझा जाये. हम बैरागी संप्रदाय के तीनों अखाड़े अखाड़ा परिषद से अलग हो गए हैं. जिससे अखाड़ा परिषद अपने आप भंग हो गई है. इस समय फरवरी माह चल रहा है, मगर अभी तक बैरागी अखाड़ों के लिए लगने वाली टेंटों की कोई व्यवस्था नहीं हुई है.

वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि बैरागी अखाड़ों की नाराजगी जायज है. उनकी बैरागी अखाड़ों के श्री महंत से वार्ता हुई है. शासन और मेला प्रशासन द्वारा बैरागी अखाड़ों की नाराजगी को लेकर लगातार बात की जा रही है. जल्दी बैरागी अखाड़ों की नाराजगी को दूर किया जाएगा.

Last Updated : Feb 12, 2021, 10:26 PM IST

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