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पलायन रोकने की कवायद, पहाड़ पर सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लिए 208 लोगों को मंजूरी

स्थानीय ग्रामीणों ने आय बढ़ाने के मकसद से उरेडा से सोलर प्लांट स्कीम के तहत न्यूनतम 100 किलो वाट व अधिकतम 5 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने के आवेदन मांगे थे. जिसके तहत तकनीकी प्रशिक्षण के बाद 208 लोगों को अपने गांव में सोलर प्लांट लगाने की अनुमति प्रदान करा दी गई है.

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Published : Jul 26, 2019, 4:23 PM IST

सोलर प्लांट स्कीम के तहत 208 लोगों को अपने गांव में सोलर प्लांट लगाने की मिली अनुमति.

देहरादून:प्रदेश के पहाड़ी जिलों से हो रहे पलायन का एक सबसे बड़ा कारण पहाड़ों में आय के साधन का न होना है. ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों की आय बढ़ाने के मकसद से उरेडा से सोलर प्लांट स्कीम के तहत न्यूनतम 100 किलो वाट व अधिकतम 5 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने के लिए आवेदन मांगे गए थे. जिसके तहत तकनीकी प्रशिक्षण के बाद 208 लोगों को अपने गांव में सोलर प्लांट लगाने की अनुमति प्रदान करा दी गई है. जिससे 48 मेगावाट बिजली पैदा होगी.

बता दें कि सोलर प्लांट स्कीम के तहत उरेडा ने प्रदेश के पहाड़ी गांव से कुल 200 मेगावाट सोलर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है. जिसके तहत जिन 208 लोगों के आवेदन उरेडा की तरफ से स्वीकार किए गए हैं. जिससे 148 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा. वहीं शेष बचे 52 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए जल्द की एक बार फिर आवेदन मांगे जाएंगे.

इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए उरेडा के निदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि सोलर प्लांट स्कीम के तहत लगाए जाने वाले सोलर प्लांट से जो बिजली पैदा होगी, उसे UERC ( उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग) द्वारा निर्धारित किए गए दामों में यूपीसीएल (UPCL) स्थानीय ग्रामीणों से खरीदेगा. जिससे न सिर्फ स्थानीय ग्रामीणों की आय बढ़ सकेगी. साथ ही इससे पहाड़ों में हो रहे पलायन पर भी रोक लग सकेगी.

जानकारी देते निदेशक उरेडा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी.

गौरतलब है कि सोलर प्लांट स्कीम के तहत फिलहाल जिन 208 लोगों के आवेदन उरेडा द्वारा स्वीकृत किए गए हैं. इन लोगों से सौर ऊर्जा से तैयार होने वाली बिजली को यूपीसीएल आगामी 25 सालों तक खरीदेगा. यानि इन लोगों का यूपीसीएल के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) होगा. जिसकी समय सीमा 25 साल निर्धारित की गई है. यूपीसीएल बाजार की दर से ही इन लोगों से बिजली खरीदेगा.

वहीं सोलर प्लांट लगाने में आने वाले खर्च में भी एमएसएमई ( सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) की ओर से अनुदान दिया जाएगा.

उदाहरण के तौर पर न्यूनतम 100 केवी का सोलर प्लांट लगाने में 40 लाख रुपए का खर्च आएगा. जिसमें एमएसएमई की ओर से 30 फीसदी अनुदान दिया जाएगा. वहीं 5 मेगावाट का प्लांट लगाने में करीब 4 करोड़ की लागत आएगी. इसमें भी एमएसएमी से 30 फीसदी अनुदान मिलेगा.

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इस स्कीम से प्रदेश को होंगे कई लाभ-

. सौर ऊर्जा से 200 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने से प्रदेश को करीब 600 करोड़ रुपए का लाभ होगा.
. इस स्क्रीम की मदद से पहाड़ के लोगों की आय बढ़ेगी. जिससे पलायन पर भी रोक लग पाएगी.
. वहीं यह स्कीम ग्रीन एनर्जी के दिशा में भी प्रदेश के लिए एक बड़ी सफलता साबित होगी.

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