देहरादूनः बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने के समय परिवर्तन पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने जवाब दिया है. बोर्ड ने कहा कि 3 मई को जारी एसओपी के मुताबिक ही बदरीनाथ मंदिर के कपाट सुबह 7 बजे खोले गए व शाम 7 बजे बंद किए गए. किसी भी तरह का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित धार्मिक नियम परंपरा के मुताबिक ही बदरीनाथ धाम में पूजा पद्धति लगातार चल रही है.
डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने किया स्वागत
उधर डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने देवस्थानम बोर्ड के निर्णय एवं एसओपी का स्वागत करते हुए कहा है कि बदरीनाथ मंदिर में व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल रही हैं. कहीं कुछ ऐसा नहीं है जिससे परंपराएं टूट रही हों.
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बदरीनाथ पूजा नियमावली में सुबह 7.30 बजे खुलते थे कपाट
गौरतलब है कि दशकों पहले भारी बर्फबारी, विकट भौगोलिक परिस्थिति और मौसम की प्रतिकूलता को देखते हुए मंदिर के कपाट सुबह 7.30 बजे खोले जाते थे. 26 मार्च 1970 में जारी श्री बदरीनाथ पूजा नियमावली तथा उससे पहले भी बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने का समय सुबह 7.30 बजे था. टिहरी महाराज के परामर्श के बाद बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में इस संबंध में सर्व सम्मति से प्रस्ताव भी पारित हुआ था.
मंदिर जीर्णोद्धार पर रखा गया था प्रस्ताव
साल 1975 में जब श्री बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ तो यात्रियों की सुविधा के लिए मंदिर को ब्रह्म मुहूर्त में प्रात 4.30 बजे खोलने का प्रस्ताव पास हुआ. जिसका तत्कालीन समय के रावल एवं धर्माधिकारी द्वारा विरोध भी किया गया. लेकिन श्रद्धालुओं की अधिक संख्या, अनुकूल मौसम, कम बर्फबारी को देखते हुए मंदिर सुबह 7.30 बजे के स्थान पर प्रात: 4.30 बजे खुलना शुरू हुआ. वर्तमान समय में कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर को खोलने का समय प्रात: 7 बजे रखा गया था. जिसका तीर्थपुरोहित समाज के कुछ सदस्यों ने विरोध किया था. इसे धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध बताया था.