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वाराणसी में घाटों पर तीर्थ पुरोहित समेत गंगा आरती पर नहीं लगेगा कोई शुल्क

वाराणसी में गंगा घाट पर होने वाली आरती और तीर्थ पुरोहितों से शुल्क लेने का फैसला वापस ले लिया गया है. पर्यटन मंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया से लोग यहां पर आकर गंगा के घाटों पर पूजन पाठ एवं धार्मिक कार्य के साथ-साथ कर्मकांड यहां के विद्वान ब्राह्मणों से कराते हैं. ऐसी स्थिति में पंडों से शुल्क लिया जाना कतई व्यवहारिक नहीं है.

वाराणसी में गंगा आरती पर नहीं लगेगा कोई शुल्क
वाराणसी में गंगा आरती पर नहीं लगेगा कोई शुल्क

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Published : Jul 28, 2020, 8:01 AM IST

वाराणसी:नगर निगम की तरफ से बनारस के गंगा घाटों पर सांस्कृतिक धार्मिक आयोजन के अलावा तीर्थ पुरोहित पंडा समेत गंगा आरती पर टैक्स लगाए जाने की तैयारी का जा रही थी. खबर सुर्खियों में आने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया था. इसके बादपर्यटन मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने अधिकारियों से बातचीत कर इस फैसले को 24 घंटे के अंदर ही तत्काल प्रभाव से रोकने के निर्देश दिए. कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने भी बताया है कि किसी तरह का कोई शुल्क किसी धार्मिक परंपरागत आयोजन किया तीर्थ पुरोहित पंडों से नहीं लिया जाएगा.

उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा है कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, उनसे कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा. उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा लोग अपनी इच्छानुसार इच्छुक हो तो रजिस्ट्रेशन कराएं, अन्यथा इसके लिए भी कोई बाध्यता नहीं होगी.

दरअसल गंगा घाटों पर गंगा आरती के लिए आयोजकों से सालाना तथा गंगा घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ कराने, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडों से नगर निगम द्वारा शुल्क लिए जाने की घोषणा की गयी थी. इसे संज्ञान में लेते हुए उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कमिश्नर दीपक अग्रवाल एवं नगर आयुक्त गौरांग राठी से फोन पर वार्ता कर इसे अव्यवहारिक बताते हुए इस पर तत्काल रोक लगाए जाने हेतु कहा है. मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहां की काशी एक धार्मिक नगरी है. पूरी दुनिया से लोग यहां पर आकर गंगा के घाटों पर पूजन पाठ एवं धार्मिक कार्य के साथ-साथ कर्मकांड यहां के विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा कराते हैं. ऐसी स्थिति में पंडो से शुल्क लिया जाना कतई व्यवहारिक नहीं है.

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