इस मंदिर में तिल के बराबर हर रोज बढ़ते हैं शिव, अद्भुत है कहानी - Mahashivratri 2021
शिवनगरी काशी में महादेव के कई रूप है. यहां कालभैरव रूप में महादेव रक्षा करते हैं तो द्वादश ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ तारक मंत्र से तारते हैं. क्या आपको मालूम है कि काशी में बाबा का एक ऐसा रूप है जो हर साल तिल-तिल बढ़ता है.
वाराणसी: 11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है और काशी का कण-कण शिव बोल रहा है. काशी में एक से बढ़कर एक शिवालय हैं, जिनकी महिमा शिव पुराण और कई अन्य पुराणों में वर्णित है. हर शिवालय में आज लोगों का हुजूम उमड़ा है और ऐसा ही एक शिवा मंदिर है तिलभांडेश्वर महादेव का. वाराणसी का तिलभांडेश्वर महादेव जैसा कि आपको नाम से ही समझ में आ गया होगा कि इस मंदिर का संबंध तिल से है. तिल से संबंध इसलिए है. क्योंकि बाबा भोलेनाथ यहां हर रोज एक तिल के दाने के बराबर बढ़ते हैं. क्या है इस मंदिर की मान्यता और क्यों है यह काशी में इतना महत्वपूर्ण जानिए इस खास खबर में.
बाबा तिलभांडेश्वर महादेव का यह मंदिर केदारखंड में स्थित है काशी दो खंडों में विराजमान मानी जाती है. एक काशी खंड और दूसरा केदारखंड काशी खंड में बाबा विश्वनाथ और महामृत्युंजय समेत अन्य से वाले हैं, जबकि केदारखंड में तिलभांडेश्वर केदारेश्वर और कई अन्य महत्वपूर्ण शिवालय शामिल है. काशी के केदारखंड में स्थितियां शिवालय महाशिवरात्रि के दिन हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज रहा है और भक्त बाबा को जलाभिषेक और रुद्राभिषेक कर अपनी हर इच्छा की पूर्ति की कामना कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि बाबा तिलभांडेश्वर को तिल अर्पित करने से सुख और संपन्नता की प्राप्ति होती है, क्योंकि तिल लक्ष्मी को समर्पित किया जाता है और बाबा भोलेनाथ को भी यह अति प्रिय है.