वाराणसी: सनातन धर्म पर्व और त्योहारों का अद्भुत समागम कहा जाता है. सनातन धर्म में हर तिथि अपने आप में विशेष महत्व रखती है और बात जब शरद पूर्णिमा की हो तो फिर आपके स्वास्थ्य से जुड़ा यह व्रत जीवन में अति महत्वपूर्ण हो जाता है. इसकी बड़ी वजह यह है कि शरद पूर्णिमा के दिन आसमान से आने वाली चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों के साथ धरती पर पड़ती हैं, जो एक तरफ आपको सुख शांति समृद्धि देती है तो वहीं औषधीय गुणों से युक्त किरणों से आपका जीवन स्वास्थ्य और संपन्नता से सुखमय होता है, तो आइए ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 20 अक्टूबर को पड़ने वाली शरद पूर्णिमा को लेकर आपको बताते हैं कुछ विशेष बातें...
19 नहीं 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा अश्विन महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि इस बार पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर की शाम लगभग 7:00 बजे लगेगी, जिसका मान 20 अक्टूबर की रात्रि 8:20 तक होगा. सनातन धर्म में उदया तिथि के मांग के अनुसार किसी भी पर्व को मनाने का विधान है. यानी सूर्य उदय से लेकर सूर्य अस्त होने तक यदि कोई तिथि उपलब्ध होती है, तो उसका विधान उसी दिन माना जाता है और पूर्णिमा तिथि 20 अक्टूबर को पूरा दिन मिलने की वजह से शरद पूर्णिमा का पर्व 20 तारीख को ही मनाया जाएगा.
वर्षा ऋतु का समापन शरद का आगमन
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि शरद पूर्णिमा का पर्व सर्वार्थसिद्धि योग के लिए जाना जाता है. इसकी बड़ी वजह यह है कि शरद पूर्णिमा वर्षा ऋतु के अंत के साथ शरद ऋतु के आगमन का पर्व है. बारिश होने की वजह से आसमान पूरी तरह से साफ सुथरा और स्पष्ट होता है. इस वजह से चंद्रमा से निकलने वाला प्रकाश और उसकी रश्मिया जब धरती पर आती हैं, तो वह औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती हैं. औषधीय गुणों का तात्पर्य चंद्रमा से निकलने वाली रश्मियों से मिलने वाले स्वास्थ्यवर्धक रोशनी से होता है. यही वजह है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी के नीचे रात्रि जागरण का विधान बताया गया है.