वाराणसी: देवादिदेव महादेव (devadidev mahadev) की आराधना के लिए वैसे तो हर दिन अपने आप में महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जब बात सावन (Savan) की आती है तो भगवान भोलेनाथ का यह अति प्रिय महीना उनकी आराधना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. इस बार सावन (Savan 2021) की शुरुआत 25 जुलाई से होने जा रही है. पहले ही दिन प्रतिपदा और द्वितीय तिथि मिलने की वजह से सावन का पर्व इस बार 29 दिनों का होने वाला है. 25 जुलाई से लेकर 22 अगस्त तक सावन का महीना रहेगा. ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि भगवान शिव की आराधना किस विधि से की जाए? कितने सोमवार पड़ेंगे और शिव की आराधना के साथ भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किस विधि-विधान से पूजन किया जाए?
25 जुलाई से शुरू हो रहे सावन (Savan) के महीने के बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के पूर्व न्यास सदस्य और ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि 22 अगस्त तक सावन (Savan) का महीना रहने वाला है. इस बार सावन (Savan) के चार सोमवार पड़ने जा रहे हैं और क्योंकि इस बार 29 दिनों का सावन मास (Savan Mas) है. इसलिए इन चारों सोमवार पर शिव की आराधना से विशेष फल की प्राप्ति होगी. पहला सोमवार 26 जुलाई को, दूसरा सोमवार 2 अगस्त को, तीसरा सोमवार 9 अगस्त को और चौथा सोमवार 16 अगस्त को पड़ेगा.
ज्योतिषाचार्य ने दी जानकारी. ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि सावन का महीना बेहद पवित्र होता है. भगवान शंकर का अति प्रिय सावन इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भगवान भोलेनाथ को नीलकंठ के नाम से जाना जाता है. उनके गले में समुद्र मंथन के दौरान निकला विष आज भी विद्यमान है, जिसकी वजह से भोलेनाथ हमेशा गर्मी से परेशान रहते हैं, क्योंकि उनके सिर पर तीसरा नेत्र भी है, जिसमें अग्नि मौजूद है. इसलिए शिव के गले और उनके मस्तक को ठंडा रखने में सावन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सावन के पूरे महीने बारिश होती है, जो भगवान भोलेनाथ को शीतल रखती है. इसलिए भोलेनाथ को यह महीना अति प्रिय है और इस महीने किया जाने वाला पूजन-पाठ और अनुष्ठान भक्तों को भी विशेष फल देता है.
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ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि वैसे तो हर भगवान की पूजा-पाठ के अलग-अलग तरीके हैं, लेकिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कोई पूजन विधान नहीं है, क्योंकि यह एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो सिर्फ एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं. भोलेनाथ को जल अति प्रिय है, गाय का दूध, मदार का पुष्प और धतूरे के साथ भांग को भगवान भोलेनाथ की पूजा में जरूर शामिल करना चाहिए. सावन के चार सोमवार पर सुबह से व्रत रखकर शाम को भोलेनाथ की विशेष आराधना करनी चाहिए. विशेष आराधना में आप घर पर रुद्राभिषेक का आयोजन कर सकते हैं या फिर ओम नमः शिवाय के पंचाक्षर मंत्र से भोलेनाथ का अभिषेक कर सकते हैं. शिव की पूजा तो आप कभी भी कर सकते हैं, लेकिन सावन के सोमवार, वह भी प्रदोष काल में शिव पूजन आपको विशेष फल देता है.
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ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि लोग इस भ्रम में रहते हैं कि प्रदोष काल सिर्फ प्रदोष की तिथि यानी त्रयोदशी तिथि को होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. प्रदोष काल प्रतिदिन शाम को 4:25 पर मान्य होता है. इसलिए सावन के सोमवार पर शाम 4:25 से शिव की आराधना शुरू करनी चाहिए, जो विशेष फलदायी होती है और जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं. मरणोपरांत शिवलोक की प्राप्ति होती है.
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