वाराणसी: जिले के काशी विश्वनाथ मंदिर में सप्त ऋषि आरती को लेकर हुए विवाद के बाद पूरे मामले का अंत हो गया. लंबे समय से मंदिर में सप्त ऋषि आरती करने की मांग कर रहे महंत परिवार को आखिर फिर से सप्त ऋषि आरती में शामिल होने का अधिकार मिल गया. लगातार मंदिर प्रशासन के साथ चल रही बातचीत के बाद महंत परिवार के तीन लोगों को सप्त ऋषि आरती में शामिल किया गया. इसमें महंत परिवार के सदस्य शशिभूषण त्रिपाठी, गुड्डू महाराज समेत दो अन्य लोगों के अलावा अलग-अलग राज्यों के पुजारियों को शामिल किया गया. कुल मिलाकर 11 लोगों को सप्त ऋषि आरती करने की अनुमति दी गई है.
वाराणसी: फिर से शुरू हुई काशी विश्वनाथ की सप्त ऋषि आरती, 11 लोगों को दी गई अनुमति
यूपी के वाराणसी में परंपरा के अनुरूप फिर से काशी विश्वनाथ की सप्त ऋषि आरती शुरु हुई. 8 पुजारी जो अलग-अलग राज्यों से हैं और महंत परिवार के 3 लोगों को सप्त ऋषि आरती में शामिल होने की अनुमति दे दी गई है. कुल मिलाकर 11 लोगों को इस आरती में शामिल किया गया है.
8 पुजारियों ने आरती में शामिल होने की अपील की थी
7 मई को काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली शाम की सप्त ऋषि आरती में महंत परिवार और अलग-अलग राज्यों के अर्चकों को शामिल होने से रोक दिया गया था. मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि मंदिर परिसर में चल रहे निर्माण कार्य के दौरान एक मंदिर के गुंबद को तोड़े जाने की अफवाह फैलाकर अराजकता फैलाने का काम इन्हीं लोगों की तरफ किया गया है. इस वजह से सभी महंतों के मंदिर परिसर में प्रवेश पर ही रोक लगा दी गई थी. इसके बाद महंत परिवार और अन्य पुजारियों ने बीच सड़क पर सप्त ऋषि आरती भी की थी. यह विवाद खींचता इसके पहले ही अलग-अलग राज्यों के आठ पुजारियों ने विश्वनाथ मंदिर प्रशासन से लिखित तौर पर माफी मांगते हुए आरती में शामिल होने की अपील की थी.
11 लोगों को आरती करने की अनुमति
इसके बाद इन महंतों को आरती में शामिल किया गया था, लेकिन महंत परिवार ने लिखित तौर पर अपनी गलती नहीं मानी थी. माना जा रहा है कि मंदिर प्रशासन के साथ चली लंबी बातचीत के बाद महंत परिवार की तरफ से भी सारी चीजें स्पष्ट की गई. इसके बाद महंत परिवार के गुड्डू महाराज समेत तीन अन्य लोगों को आरती में शामिल होने की अनुमति दी गई है. 8 पुजारी जो अलग-अलग राज्य से हैं और महंत परिवार के 3 लोगों को मिलाकर कुल 11 लोगों को सप्त ऋषि आरती में शामिल होने की अनुमति दे दी गई है. नियमित रूप से पुरानी परंपरा के अनुरूप यही लोग अब सप्त ऋषि आरती करेंगे.