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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में लगीं तख्तियां, 'नो पावर, नो वोट'

इस बार वाराणसी का एक गांव बिजली की समस्या से परेशान होकर मतदान बहिष्कार करने की चेतावनी दे रहा है. यहां के लोगों का कहना है कि हम पिछले दो महीनों से बिजली की समस्या से परेशान हैं. अगर इस बार ये समस्या खत्म नहीं हुई तो हम वोट नहीं देंगे.

धरना प्रदर्शन करते ग्रामीण.

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Published : May 10, 2019, 5:25 PM IST

वाराणसी: लोकसभा चुनाव के दो चरण बचे हैं. वहीं वाराणसी में अंतिम चरण यानी सातवें चरण में 19 मई को मतदान होना है. वाराणसी पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र है, इसीलिए ये सबसे हॉट सीट भी है. इस बार लोकसभा चुनाव में विकास ही मुद्दा माना जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 2014 में बनी. तब से लेकर अबतक पीएम मोदी ने विकास की ही बात कही है. ऐसे में यह देखा जा रहा है कि प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र तब से अब तक कितना विकसित हो सका है. कितनी कमियों में सुधार लाया जा सका है.

धरना प्रदर्शन करते ग्रामीण और जानकारी देते अधिकारी.

हम बात कर रहे हैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पीछे बसे रमना गांव की:

  • इस गांव को वर्ष 2010 में निर्मलीकरण के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है.
  • इस गांव के लोग बिजली व्यवस्था से पिछले लगभग 2 महीने से पूरी तरह त्रस्त हैं.
  • गांव में रहने वालों ने निर्णय लिया अगर बिजली व्यवस्था नहीं सुधरी तो वोट नहीं देंगे.
  • हाथों में तख्तियां लिए कड़ी धूप में गांव के लोग धरने पर बैठ गए.
  • दुकानों में भी पोस्टर लगा दिया कि बिजली नहीं तो वोट नहीं. नो पावर नो वोट.

प्रधान पति अमित पटेल का कहना है कि:

  • हम लोग पिछले लगभग 2 महीने से पावर कट और लो वोल्टेज से परेशान हैं.
  • यहां सब्जी की खेती होती है और पूरे बनारस में यहीं से सब्जी जाती है.
  • अगर सब्जियों को समय पर पानी नहीं मिला तो वह नष्ट हो जाएंगी.
  • हम कई बार अधिकारियों से मिले, लेकिन वह सुन नहीं रहे हैं.

गांव में दो समस्याएं हैं. एक लो वोल्टेज समस्या है, दूसरी ट्रिपिंग की समस्या है. हम उसका जल्द ही निराकरण करेंगे. गांव वालों ने हमें 48 घंटे का समय दिया है. हम इस समय में अपना कार्य पूरा कर देंगे.
-राजेंद्र प्रसाद पटेल, अधिशासी अभियंता

प्रधान पति अमित पटेल ने बताया कि बिजली विभाग के कुछ अधिकारी हमसे मिलने आए थे. उन्होंने 24 घंटे का समय मांगा है, जिस पर हमने उन्हें 48 घंटे का समय दिया है. अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो हम सब गांव वाले वोट नहीं देंगे.

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