वाराणसी:उज्जैन के महाकाल और दक्षिण भारत के कई मंदिरों की तर्ज पर काशी विश्वनाथ मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने पर मतभेद की स्थिति नजर आ रही है. द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड लागू किए जाने के प्रस्ताव को अनुमति मिलने के 24 घंटे बाद ही वाराणसी प्रशासन इस फैसले से पलट गया है. इसके बाद यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर ऐसा हुआ क्यों?
ड्रेस कोड के मामले में जानकारी देते अधिकारी. कमिश्नर दीपक अग्रवाल द्वारा इस बैठक में मौजूद रहकर काशी विद्वत परिषद के लोगों और मंदिर प्रशासन के साथ सारे प्रस्तावों पर सहमति जताई गई थी. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी इस प्रस्ताव को राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी की ओर से अनुमति प्रदान कर मकर संक्रांति के बाद लागू किए जाने की बात कह चुके हैं. इसके बाद अचानक कमिश्नर ने इस फैसले को वापस लेने की बात कही. कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो जारी कर फैसले को अफवाह बताकर इसका खंडन किया है.
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बता दें कि रविवार को काशी विद्वत परिषद, विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और वाराणसी प्रशासन के साथ धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी की कमिश्नरी सभागार में बैठक हुई. इस बैठक में स्पर्श दर्शन के वक्त को बढ़ाने और इस दौरान पुरुषों के लिए धोती कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी पहने जाने के प्रस्ताव पर धर्मार्थ कार्य मंत्री द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद इस फैसले को लागू किए जाने की बात कही गई थी. यह बात खुद मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने कही थी.
अचानक इस फैसले को अफवाह बताते हुए सोमवार को कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर इसका खंडन किया. इसके बाद 24 घंटे के अंदर ही मंदिर प्रशासन को भी यह फैसला वापस लेना पड़ा. अब मंदिर प्रशासन कह रहा है कि विद्वत परिषद द्वारा दिए गए सुझाव पर विचार कर साधु-संतों और अन्य लोगों से विचार-विमर्श कर इस पर कोई विचार किया जाएगा. वहीं कमिश्नर दीपक अग्रवाल की तरफ से सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश जारी करने के बाद धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने भी इस फैसले को अभी लागू न किए जाने की बात अपने ट्विटर अकाउंट पर कही है.