वाराणसी: धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में पुरानी परंपराओं का निर्वहन बड़े ही धूमधाम के साथ किया जाता है. पुरातन परंपराओं को आज भी जीवित रखने वाले इस शहर बनारस में सावन के अंतिम दिन एक परंपरा का 357 वर्ष पहले शुरू की गई. जिसका निर्वहन आज भी उसी तरह से किया जाता है. सावन के आखिरी दिन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार के साथ धूमधाम से बाबा विश्वनाथ की चल रजत पंचबदन प्रतिमा बुधवार शाम को बाबा विश्वनाथ के मंदिर में पहुंची. यहां पर बाबा भोलेनाथ अपने परिवार के साथ सावन का आनंद लेते हुए झूले पर विराजे और पुजारी ने भव्य आरती और भोग के साथ बाबा विश्वनाथ को झूला झुलाया.
दरअसल, हर वर्ष सावन के अंतिम दिन बाबा विश्वनाथ का झूलनोउत्सव संपन्न होता है. इस बार का यह पर्व कुछ विशेष ही अंदाज में मनाया गया. सुबह पूजन पाठ के साथ टेढ़ी नीम स्थित महंत कुलपति तिवारी के आवास पर बाबा विश्वनाथ का हरियाली श्रृंगार संपन्न करके उन्हें चंद्रयान की सैर करवाई गई. चंद्रयान थीम पर आधारित बाबा का श्रृंगार शिव शक्ति स्थल के रूप में संपन्न हुआ और भक्तों ने शाम 4:00 बजे तक यहां पर भोलेनाथ के इस रूप के दर्शन किया.
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