उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

कबीर जन्मस्थली को मिल रहा नया रूप, सरकार की पहल से बनने लगा पर्यटन स्थल

कबीर साहब की जन्म स्थली के कायाकल्प को लेकर बीते 5 सालों से यहां के महंत आचार्य गोविंद दास शास्त्री प्रयास कर रहे हैं. महंत कहते हैं कि पिछली सरकारों में कोई काम हो न सका, मगर 2017 में योगी सरकार के आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के साथ केंद्र सरकार की योजना ने लहरतारा तालाब की सूरत को बदलने का काम शुरू कर दिया.

By

Published : Dec 26, 2021, 10:48 AM IST

कबीर जन्मस्थली को मिल रहा नया रूप
कबीर जन्मस्थली को मिल रहा नया रूप

वाराणसी: कहते हैं आयुर्वेद में बहुत ताकत है और कोरोना के काल में आयुर्वेद की ताकत का पता भी दुनिया को चल गया. लेकिन अगर हम आपसे यह कहें कि आयुर्वेद की ताकत किसी खत्म हो चुके तालाब को नया जीवन दे रही है तो सुनकर आश्चर्य मत कीजिएगा, क्योंकि बनारस में संत कबीर की जन्म स्थली यानी लहरतारा तालाब को आयुर्वेदिक अर्क ने नया जीवन दिया है. लहरतारा कबीर की जन्म स्थली के महंत और उनके कुछ सहयोगियों के प्रयास से इस तालाब की रूपरेखा ही बदलती है. जहां पहले यह तालाब गंदगी और जलकुंभियों से पटा हुआ था. यहां खड़ा होना मुश्किल था आज व पर्यटन स्थल के रूप में एक नया स्पॉट बन कर उभर रहा है.



दरअसल कबीर की जन्म स्थली के कायाकल्प को लेकर बीते 5 सालों से यहां के महंत आचार्य गोविंद दास शास्त्री प्रयास कर रहे थे. पहले की समाजवादी पार्टी सरकार हो या बहुजन समाज पार्टी सरकार हर पार्टी से इस तालाब के के जीणोद्धार और कायाकल्प की गुहार लगाई गई, लेकिन काम नहीं हो सका. 2017 में योगी सरकार के आने के बाद प्रयासों से सफलता मिल ही गई और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ केंद्र सरकार की योजना ने इस तालाब की सूरत को बदलने का काम शुरू कर दिया.

कबीर जन्मस्थली को मिल रहा नया रूप
केंद्र सरकार के सहयोग से 7 करोड़ रुपए का बजट इस तालाब के कायाकल्प के लिए पास हुआ है. वाराणसी विकास प्राधिकरण ने इस काम को करने का बीड़ा उठाया और तालाब के चारों और पक्का घाट बनाए जाने के साथ लाल पत्थर से इसे सजाने का काम शुरू हुआ. घाट बन गया और इसका नया रूप सामने आया लेकिन तालाब का गंदा पानी और काला हो चुका जल इस पूरी सुंदरता पर दाग लगा रहा था. जिसके बाद यहां के महंत के प्रयासों से लगभग 600 वर्षों से ज्यादा इस पुराने स्थान को नया जीवन मिला विकास प्राधिकरण ने कबीर की जन्म स्थली के चारों ओर परिक्रमा पथ बनवा दिया है. जहां पर सैकड़ों की संख्या में लोग बैठ कर पूजा पाठ कर सकते हैं. चारों ओर हेरीटेज लाइटिंग और साफ-सफाई की व्यवस्था भी है.

यह भी पढ़ें- Income Tax Raid: तीसरे दिन भी पीयूष जैन के घर छापेमारी, रकम मिलने का सिलसिला जारी


जन्मस्थली के महंत का कहना है, कि प्रतिदिन लगभग 20 हजार रुपये से ज्यादा के खर्च से इस तालाब को नया जीवन देने का काम अपने खर्च पर किया जा रहा है. इसके लिए आयुर्वेदिक अर्क का इस्तेमाल हो रहा है. 10000 लीटर पानी में 2 लीटर काऊनॉमिक्स मिलाकर सूर्य उदय के साथ ही इसे इस पानी में छोड़ने का काम किया जाता है. लगभग 15 से 20 दिनों से इस काम को लगातार किया जा रहा है, जिससे एक तो पानी का काला रंग धीरे-धीरे खत्म होने लगा है और जो पानी स्थिर था उसमें अब लहर और बहाव समझ में आने लगा है. यानी कहा जाए कि खत्म हो चुके शरीर को एक नया जीवन मिल रहा है. जलीय जीवों के लिए भी अब पानी बेहतर हो रहा है तो मछलियां कभी यहां दिखाई नहीं देती थी. अब वह सब अक्सर किनारे दिखाई दे जाती है. जाकर इस तालाब और कबीर की जन्म स्थली को नया जीवन मिल गया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details