वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय अंतर विश्वविद्यालय वेबिनार का समापन हो गया. इस आयोजन के दौरान भाषा के विभिन्न पहलुओं पर देश के भाषाविदों ने मंथन किया.
आज भी हम मैकाले के जाल से बाहर नहीं निकले
वेबिनार में स्वागत भाषण देते हुए राष्ट्रीय वेबिनार के संरक्षक काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने कहा कि राजनीतिक दृष्टि से भाषा समृद्ध हुई है, लेकिन अध्ययन-अध्यापन में हम विचलित हुए ही हैं. आज भी हम मैकाले के जाल से बहार नहीं निकल पाए हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भाषाई विमर्श आवश्यक है.
भाषा और कुछ नहीं बल्कि हमारी परिभाषा है
‘भाषा के सामजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आयाम एक शिक्षा शास्त्रीय विमर्श’ विषयक सत्र में बतौर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयीय संस्थान के निदेशक प्रो. चंद्रभूषण शर्मा ने अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि भाषा को इंसान के अस्तित्व से अलग करके नहीं देखा जा सकता, क्योंकि जितना पुराना इतिहास मानव का है, उतनी ही पुरानी भाषा भी है.
भाषा लिखित, मौखिक और दृश्य तीन रूपों में हमारे बीच मौजूद है. भाषा और कुछ नहीं बल्कि हमारी परिभाषा है. हम, हमारा इतिहास और हमारी विचारधारा भाषा के माध्यम से ही सबके सामने प्रकट होती है. भाषा न केवल हमारे समाज को बल्कि शिक्षा, राजनीति और सांस्कृतिक परंपराओं को प्रभावित करती है.