वाराणसी: धर्म और संस्कृति की नगरी काशी को पूरे विश्व में गंगा जमुनी तहजीब के लिए भी जाना जाता है. यहां पर एक ही समय पर मंदिर में घंटा, डमरू बजते हैं तो वहीं मस्जिद से अजान होती है. यह वही शहर है जहां की सीढ़ियों पर शहनाई बजाकर बिस्मिल्लाह खां ने पूरे विश्व में काशी और भारत का नाम रोशन किया. जिले के जीवधीपुर नव युवक मंगल दल द्वारा वर्ष 1972 से होली शिव बारात निकाली जाती है.
होली के दिन निकलती है शिव बारात
काशी की सांस्कृतिक परंपरा के निर्वहन क्रम में विगत वर्षों की भांति प्राचीन होली मिलन समारोह एवं शिव बारात का आयोजन होली के दिन दोपहर 2 बजे होता है. इस बारात की खासियत यह है कि इसमें लोग रंग खेलने के बाद नए कपड़े पहनकर शामिल होते हैं. यह बारात शंकुधारा पोखरे से शुरू होकर बजड़िहा होते हुए हनुमान मंदिर पर जाकर समाप्त होती है.