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जीआई प्रोडक्ट्स एग्जीबिशन में सिद्धार्थनगर के काला नमक चावल की भारी डिमांड - वाराणसी ताजा समाचार

यूपी के वाराणसी में पं. दीनदयाल हस्तकला संकुल में जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी लगी हुई है. इसमें सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल की खूब डिमांड है. इसके अलावा प्रदर्शनी में लगने वाले हर उत्पाद में लोग दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

जीआई प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी.
जीआई प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी.

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Published : Jan 20, 2021, 8:26 AM IST

वाराणसी: जिले के बड़ालालपुर स्थित पं. दीनदयाल हस्तकला संकुल में यूपी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, उत्तर प्रदेश सरकार, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के संयुक्त तत्वाधान में जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी लगी हुई है. इसको देखने के लिए मंगलवार को भी लोगों का तांता लगा रहा. यह प्रदर्शनी फिक्की के स्थानीय उत्पादों और उत्पादकों को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रमों का एक हिस्सा है. इससे पहले फिक्की 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' की वर्चुअल एग्जीबिशन का भी आयोजन कर चुका है, जो काफी सफल रहा.

जीआई प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी.

सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल की खूब डिमांड
प्रदर्शनी में एक तरफ जहां सिद्धार्थनगर जिले का काला नमक चावल प्रदर्शनी में आने वालों के लिए 'हॉट केक' बना रहा. वहीं महिलाओं ने लखनऊ की चिकनकारी और हाथ से बने सजावटी समानों में अपनी दिलचस्पी दिखाई. काला नमक चावल का स्टाल लगाने वाले अभिषेक सिंह ने बताया कि उनका एक क्विंटल का पूरा स्टॉक पहले ही दिन खत्म हो चुका था. उन्हें अब तक 17 क्विंटल काला नमक चावल का स्टॉक अपने जिले से मंगाना पड़ा है.

जीआई प्रोडक्ट्स की आकर्षक पैकेजिंग से हो सकता है लाभ
प्रदर्शनी के दूसरे दिन मंगलवार को कमिश्नर दीपक अग्रवाल और एपीडा के चेयरमैन एम अंगमुत्थु ने भी प्रदर्शनी संकुल पहुंचकर प्रदर्शनी का अवलोकन किया. उन्होंने प्रतिभागियों को सरकार से हर संभव मदद दिलाने को लेकर आश्वस्त किया. एपीडा के सीईओ ने कृषि उत्पादों खासतौर से प्रयागराज के सुरखा अमरूद को निर्यात किए जाने को लेकर अपनी दिलचस्पी जाहिर की. दूसरे दिन वर्चुअल और फिजिकल परिचर्चा की श्रृंखला में जीआई प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग में आने वाली चुनौतियों पर व्याख्यान का आयोजन हुआ.

जीआई प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी.

उत्पादक और विक्रेता में सीधा संवाद स्थापित करने की जरूरत
डॉ. अमिताभ पाण्डेय ने अपने व्याख्यान में बताया कि कारीगर अपनी कला में माहिर हैं, लेकिन मार्केटिंग नहीं कर पाते हैं. बहुत से आर्टिजन और मैन्युफैक्चर जीआई के अधिकृत उपयोगकर्ता नहीं बन पाए हैं. इसके लिए संबंधित सरकारी विभागों को इसके लिए पहल और जागरूकता लानी होगी. ज्यादातर उत्पादकों, शिल्पकारों या ग्राहकों को जीआई टैगिंग का लाभ नहीं मिल पता है. इसके लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना पड़ेगा. वर्तमान व्यवस्था में पूरी प्रक्रिया में उत्पादक को अपने परिश्रम का पूरा मूल्य नहीं मिलता है. प्रॉफिट मार्जिन कम होने के चलते ही पारंपरिक हस्तशिल्प के क्षेत्र में नई पीढ़ी नहीं आ रही है, इससे उस हस्तशिल्प के विलुप्त होने का खतरा बना रहेगा. इसके लिए जरूरी है कि उत्पादक और विक्रेता में सीधा संवाद स्थापित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए. उत्पादों की ऑनलाइन उपस्थिति बहुत कम है. ई-मार्केट प्लेस पर रजिस्टर करके उत्पादक सीधे ग्राहक तक पहुंच सकते हैं. इस मामले में सरकारी विभागों को पहल करनी होगी. जिन डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रोडक्ट्स रजिस्टर हैं, वहां उस उत्पाद के जीआई टैग्ड होने का उल्लेख नहीं है.

किसी भी उत्पाद की कीमत उसकी पैकेजिंग बढ़ाती है
डिप्टी कमिश्नर इंडस्ट्रीज वीरेंद्र कुमार ने बताया कि उत्पादक एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन पर अपना शो रूम खोलना चाहते हैं तो उन्हें सरकार की तरफ से अनुदान मिलता है. साथ ही जो उत्पादक अपना प्रोडक्ट ब्रोशर विदेश कुरियर करना चाहते उसके लिए भी सरकार मदद करती है. धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डिप्टी कमिश्नर इंडस्ट्रीज वीरेंद्र कुमार ने कहा कि किसी भी उत्पाद की कीमत उसकी पैकेजिंग बढ़ा देती है. हस्तशिल्पियों और उत्पादकों को इस तथ्य का ध्यान रखना होगा तभी उन्हें अपने कला और परिश्रम का पूरा लाभ मिल सकेगा.

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