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काशी का ये अनोखा मंदिर, जहां भक्त चढ़ाते हैं ताला

धर्म एवं आध्यत्म की नगरी काशी में सभी देवी देवताओं का वास है. सभी की अलग मान्यताएं हैं. उसी में से एक मोक्षदायिनी गंगा के किनारे दशाश्वमेध घाट पर मां बन्दी देवी का मंदिर है. जहां भर भक्त अनेक प्रकार के बंधनों से मुक्ति के लिए ताला चढाते हैं.

जहां भक्त चढ़ाते हैं ताला
जहां भक्त चढ़ाते हैं ताला

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Published : Oct 14, 2021, 12:33 PM IST

वाराणसी: धर्म एवं आध्यत्म की नगरी काशी में सभी देवी देवताओं का वास है. सभी की अलग मान्यताएं हैं. उसी में से एक मोक्षदायिनी गंगा के किनारे दशाश्वमेध घाट पर मां बन्दी देवी की मंदिर है. जहां भर भक्त अनेक प्रकार के बंधनों से मुक्ति के लिए ताला चढाते हैं. जब भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं तो अपना ताला खोल कर मां का विधि विधान से पूजा करते हैं. यहां दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. बताया जाता है कि मां स्वंयभू हैं.



रामायण महाभारत काल में वर्णन

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी यहां सभी देवी देवता विराजनमान हैं. ऐसी ही बन्दी माता का मंदिर है. जिसका वर्णन महाभारत, रामायण एवं काशी खण्ड में मिलता है. मां बन्दी माता मंदिर में हनुमान जी प्रतिमा एवं शिवलिंग स्थापित है. बन्दी माता कसेरा एवं सोनार जाति की कुलदेवी हैं. कुलदेवी होने के कारण यहां देश के विभिन्न हिस्से सहित विदेश से भी भक्त दर्शन करने आते हैं.

काशी का ये अनोखा मंदिर, जहां भक्त चढ़ाते हैं ताला
सोनार एवं कसेरा जाति की कुलदेवी
बन्दी माता का दर्शन करने आईं कविता सेठ ने बताया कि ये बन्दी माता हम लोगों की कुलदेवी माता है. हम लोग शादी के बाद से ही पूजा करते आ रहे हैं. हम लोगों के घरों में शुरू से पूजा होता आ रहा है है. हम लोग मां को हलुआ, खीर, पूड़ी, मालपुआ, बारा इत्यादि सामान चढाते हैं. कविता सेठ ने आगे बताया कि यहां जो कोई मन्नत मानता है जैसे कोट, कचहरी, जैसे मामलों से मुक्ति के लिए हो एक ताला ये बंधता है उसे जब उससे मुक्ति मिलती है तो यहां आकर ताला खोलता है.
अहिरावण का वध कर श्रीराम को मुक्ति दिलाई
मंदिर के प्रधान महंत शुभाकर दुबे ने बताया की बन्दी माता के बारे में बताया जाता है कि जब अहिरावण राम लक्ष्मण को बन्दी बनाकर पातालपूरी लेकर बंधक बनाया था. तब रामचन्द्रजी ने बंदी माता की आराधना की तब माता हनुमान जी से मिलकर अहिरावण का वध कर राम लक्ष्मण को मुक्ति दिलाई थी. इसके बाद जब काशी बसने लगा तो भगवान भोलेनाथ एवं विष्णु जी ने बन्दी माता से कहा कि आप काशी मे जाइये. कलयुग में लोग कोट, कचहरी एवं अन्य प्रकार के बंधनों से मुक्ति के लिए आपकी सच्चे मन से आराधना कर ताला चढ़ायेगें तो उन्हें उससे मुक्ति मिलेंगी.
साल में दो बार भव्य श्रृंगार
महंत शुभाकर दुबे ने आगे बताया की चैत की अष्टमी एवं दीपावली की रात मां का भव्य श्रृंगार किया जाता है. उस दिन मां को लाल अड़हुल का फुल एवं मालपुआ का भोग लगाया जाता है. मां के दर्शन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेशों में बसे स्वर्ण एवं कसेरा जाति के लोग दर्शन करने आते है.

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