वाराणसी : कोरोना का कहर अब कम होने लगा है. लोगों के दिमाग से इस वायरस को लेकर टेंशन भी धीरे-धीरे उतरने लगी है, लेकिन इस वायरस के घटते प्रकोप के बीच सबसे बड़ा खतरा ब्लैक फंगस का दिखने लगा है. ब्लैक फंगस को यूपी में महामारी घोषित किया जा चुका है. कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों के दिल दिमाग पर इस फंगस का डर साफ देखने को मिल रहा है. क्या सच में कोरोना से संक्रमित होने के बाद हर व्यक्ति इस फंगस की चपेट में आ सकता है. ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश ईटीवी भारत की टीम ने की. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ब्लैक फंगस का ट्रीटमेंट करने वाले डॉक्टर सुशील अग्रवाल से ब्लैक फंगस के बारे में बातचीत कर फंगस और उसके बारे में फैली भ्रांतियों की हकीकत को समझने की कोशिश की.
कैसे होता है ब्लैक फंगस
ENT स्पेशलिस्ट डॉ. सुशील कुमार अग्रवाल ने साफ तौर पर कहा कि यह फंगस हर किसी को नहीं हो सकता. उनका कहना है कि कुछ असावधानियां हैं, जो इस फंगस को आपके शरीर में प्रवेश दिलाती हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण रोल अदा करती है आपकी इम्यूनिटी. इम्यूनिटी कमजोर होने पर पहले आप कोरोना से संक्रमित होते हैं और दवाओं के जरिए आप रिकवर तो हो जाते हैं लेकिन कमजोर इम्यूनिटी की वजह से आप इस फंगस की चपेट में आ जाते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यह फंगस हवा में मौजूद होता है और आपकी कमजोर इम्यूनिटी की वजह से आपके शरीर में नाक या मुंह के जरिए प्रवेश करता है.
शुगर के मरीजों को ज्यादा खतरा
डॉ. सुशील अग्रवाल का कहना है कि इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि कहीं आप शुगर के मरीज तो नहीं हैं, क्योंकि शुगर के मरीजों की कमजोर इम्यूनिटी की वजह से उन्हें फंगस का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसी स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण है कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोरोना की चपेट में आने के बाद एस्ट्रॉयड का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. एस्ट्रॉयड सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही ली जानी चाहिए अन्यथा इस फंगस के होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. इसके अतिरिक्त यदि आप ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं और घर पर ही आइसोलेशन में रहकर ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो मास्क और केन्यूला ट्यूब को हर बार इस्तेमाल से पहले अच्छे से सैनिटाइज करें और उसे साफ करने के बाद ही उसका इस्तेमाल करें.
इन लक्षणों पर करें गौर
डॉक्टर अग्रवाल का साफ तौर पर कहना है कि फंगस से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि ब्लैक, व्हाइट और येलो तीन तरह के फंगस की बात सामने आ रही है. येलो और व्हाइट फंगस खतरनाक नहीं होता है और इसका इलाज संभव है. ब्लैक फंगस का भी इलाज यदि समय रहते शुरू कर दिया जाए तो मरीज की जिंदगी बचाई जा सकती है. इसलिए इससे डरे नहीं. डॉ. अग्रवाल का साफ तौर पर कहना है कि फंगस को लेकर परेशान ना हों. आंखों के नीचे स्वेलिंग, आंखों का लाल होना, आंखों की पुतली का ना घूमना, सांस लेने में दिक्कत या फिर नाक का बार-बार बंद होना जैसे लक्षण के सामने आने के बाद तत्काल स्पेशलिस्ट डॉक्टर से संपर्क करें और अपना इलाज करवाएं. आंखों के लिए आई स्पेशलिस्ट और कान, नाक या गले में कोई तकलीफ होने पर ईएनटी स्पेशलिस्ट से संपर्क करके ही अपना ट्रीटमेंट शुरू करवाएं.