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सीतापुर: प्रवासी मजदूरों को मिलेगा रोजगार, प्रशासन ने बनाई रणनीति - migrant laborers will get employment

सीतापुर जिले में प्रवासी मजदूरों की क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद रोजगार देने के लिए जिला प्रशासन ने रणनीति बनायी है. यहां स्वयं सहायता समूह गठित कर महिलाओं को रोजगार दिया जाएगा.

सीतापुर जिलाधिकारी.
डीएम ने अधिकारियों के साथ की बैठक.

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Published : May 13, 2020, 8:07 PM IST

सीतापुर:प्रवासी श्रमिकों को जिले में रोजगार देने के लिए प्रशासन ने रणनीति तैयार की है. रणनीति के तहत मनरेगा योजना के अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराए जा रहे हैं. साथ ही स्वयं सहायता समूहों को ड्रेस बनाने का काम देकर महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने की योजना पर काम शुरू हो गया है.

डीएम ने अधिकारियों के साथ की बैठक.

क्वारंटाइन अवधि के बाद मिलेगा रोजगार
जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी ने बताया कि प्रवासी श्रमिक क्वारंटाइन अवधि पूर्ण करने के उपरान्त मनरेगा के अंतर्गत कार्य की मांग पंचायत से कर सकते हैं. साथ ही नया जॉब कार्ड बनाने के लिए ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी या रोजगार सेवक को प्रार्थना पत्र दे सकते हैं. जिन श्रमिकों के खाते नहीं खुले हैं, उन्हें बैंक में खाते खुलवाने की सुविधा उपलब्ध कराते हुए रोजगार दिलाया जायेगा.

निगरानी के लिए बना कंट्रोल रूम
मनरेगा योजना के अंतर्गत समय से कार्य उपलब्ध कराए जाने व इसकी निगरानी के लिए जिला मुख्यालय पर कंट्रोल रूम (05862-240090) स्थापित किया गया है. उपायुक्त उद्योग, जिला रोजगार सहायता अधिकारी एवं श्रम विभाग के अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई है, जो फैक्ट्रियों में रोजगार उपलब्ध कराने का कार्य करेगी.

जिला प्रशासन डेटा एकत्रित कर रहा
जिला प्रशासन स्किल्ड लेबर का डेटा एकत्र कर रही है व अधिक से अधिक जनपदवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं. मिट्टी का काम करने वाले या मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोग माटी कला बोर्ड के अंतर्गत संचालित योजनाओं से लाभान्वित हो सकते हैं.

महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनेंगे
जिलाधिकारी ने बताया कि बाहर से आने वाली महिलाएं स्वयं सहायता समूह गठित कर सकती हैं, जिससे वह सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से लाभान्वित हो सकें. खण्ड विकास अधिकारी अपने स्तर से इसमें सहयोग करेंगे. गत वर्ष जनपद में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने 80 हजार स्कूल ड्रेस का निर्माण किया था. वर्तमान वर्ष में स्वयं सहायता समूहों को सश्क्त बनाने के उद्देश्य से 2.50 लाख स्कूली ड्रेस बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

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