सीतापुर:नैमिषारण्य की तपस्थली शिव के चमत्कारों की धरती है. इस तपोवन की भूमि पर कई पौराणिक शिवालय स्थापित हैं. नैमिषारण्य 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि है. यहां पर गोमती नदी के तट पर स्थित प्राचीन शिव स्थान को रुद्रावर्त तीर्थ के नाम से जाना जाता है.
नैमिषारण्य तपोभूमि पर स्थित है रुद्रावर्त तीर्थ आदि गंगा गोमती नदी के किनारे पर नदी के अंदर एक शिवलिंग स्थापित है. शिवलिंग पर ओम नम: शिवाय के उच्चारण के साथ बेल पत्र, दूध, फल और जल अर्पित करने पर वह सीधा जल में समा जाता है. इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. श्रद्धालु इस कृत्य को देखकर अपने जीवन को धन्य समझते हैं. स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस स्थान का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है.
नदी के किनारे शिव मंदिर भी स्थापित है. जल में डूब जाता है बेल पत्र
मान्यता है कि कभी इस स्थान पर पौराणिक शिव मंदिर था. कालांतर में वह मंदिर आदि गंगा गोमती में समा गया. मंदिर का अवशेष नदी में पानी कम होने पर दिखाई देता है. बताया जाता है कि उसी स्थान पर नदी के अंदर शिवलिंग स्थापित है. लोग अब इस पवित्र स्थान को रुद्रावर्त तीर्थ के नाम से जानते हैं. गोमती नदी में दूध, बेल पत्र और फल अर्पित करने पर शिवलिंग इसे स्वीकार कर लेता है. बताया जाता है कि इस विशेष स्थान के अलावा और कहीं पर बेल पत्र डालने पर वह जल के अंदर नहीं समाती, बल्कि तैरती रहती है.
देश के कोने-कोने से आते हैं श्रद्धालु
सतयुग के तीर्थ नैमिषारण्य की पौराणिक मान्यता पूरी दुनिया में विख्यात है. देश भर से श्रद्धालु इस रुद्रावर्त तीर्थ पर दर्शन करने के लिए आते हैं. रुद्रावर्त तीर्थ क्षेत्र, नैमिषारण्य क्षेत्र तपोभूमि के महत्व को और अधिक बढ़ाने में सहायक सबित हो रहा है. तीर्थ के समीप ही एक और प्राचीन शिवलिंग है. वहां कुछ वर्षों पूर्व श्रद्धालुओं ने मिलकर मंदिर का निर्माण करा दिया. तीर्थ में पूजा अर्चना के पश्चात मंदिर में शिव की अराधना की जाती है. मान्यता है कि यहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है.