सीतापुरः 15 से 49 वर्ष की महिलाओं के लिए एनीमिया बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है. इस मर्ज में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा लगातार योजनाएं चलती रहती हैं. इस समय जिले के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चियों और महिलाओं को दवाइयां वितरित करने का कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. एक सर्वे के अनुसार 15 से 49 वर्ष की 52.4 फीसदी महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं.
स्वास्थ्य विभाग चला रहा एनीमिया नियंत्रण अभियान.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एनएफएचएस 2015 के सर्वे के अनुसार 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में 52.4 फीसदी महिलाएं एनीमिक पाई गई है. सरकार ने इसमें कमी लाने के लिए नवम्बर माह से विशेष अभियान शुरू कराया है. इस अभियान के तहत किशोरियों को पिंक और ब्लू कलर की टेबलेट वितरित की जा रही है.
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स्कूल जाने वाली किशोरियों को स्कूल के माध्यम से और स्कूल न जाने वाली किशोरियों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से यह दवा वितरित की जा रही है. इसी प्रकार गर्भवती महिलाओं के लिए भी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से दवा का वितरण कराया जा रहा है.
क्या है एनीमिया
एनीमिया का मतलब शरीर में खून की कमी होना है. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा को बताता है. पुरुषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12 से 16 और महिलाओं में 11 से 14 के बीच होनी चाहिए. जब इस मात्रा में कमी आती है तो वह एनीमिया कहलाती है. ज्यादातर यह समस्या महिलाओं को होती है. इसका मुख्य कारण बार- बार गर्भ धारण करना और माहवारी के दौरान अधिक खून का आना बताया जाता है. इसकी रोकथाम के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन ठीक माना जाता है.
पूरे जिले में एनीमिया से बचाव के लिए चलने वाले अभियान को सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है. आगामी वर्षों में प्रतिवर्ष तीन फीसदी की दर से एनीमिया के रोगियों में कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. किशोरियों को स्कूल और महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से दवा वितरित करने का काम किया जा रहा है.
-डॉ. पी. के. सिंह, सीएमओ