संत कबीर नगर: जिले के मशहूर शायर डॉक्टर असद निजामी जो कि आज किसी परिचय के मोहताज नही हैं. लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें अपने ही घर से बेदखल कर दिया हैं. कबीर के आंगन का शायर अपने ही जिले में होने वाले मगहर महोत्सव की लिस्ट से बाहर है. मगहर महोत्सव में कबीर के संदेशों के गुड़गान के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम और मुशायरे का आयोजन होता है. इसमें सबसे पहले स्थानीय कलाकारों को तरजीह देने का फरमान है, लेकिन डॉक्टर असद निजामी का नाम लिस्ट से गायब कर दिया गया है.
मगहर महोत्सव की लिस्ट में नहीं है शायर डॉ. असद निजामी का नाम. खास बातें
- मगहर महोत्सव में मशहूर शायर डॉ. असद निजामी को इस बार जगह नहीं मिली.
- मुशायरे में आने वाले शायरों की लिस्ट से निजामी का नाम गायब कर दिया गया है.
- कुछ लोगों ने उन्हें अपने ही घर से बेदखल करने जैसे हालात पैदा कर दिए हैं.
- जिले के महोत्सव में सबसे पहले स्थानीय कलाकारों को तरजीह देने का फरमान है.
हर साल होता है मगहर महोत्सव
संत कबीर की परिनिर्माण स्थली मगहर में हर साल जनवरी के महीने में मगहर महोत्सव होता है. इसके लिए सरकार 40 लाख रुपये मुहैया कराती है. इस महोत्सव में कबीर के मंच से उनके संदेशों के गुड़गान के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम और मुशायरे का आयोजन किया जाता है. इसमें सबसे पहले स्थानीय कलाकारों को तरजीह देने का फरमान भी है. लेकिन मगहर कस्बे के रहने वाले मशहूर शायर, डॉ. असद निजामी जो कई सालों तक इस कबीर मंच के मेहमान बनकर मंच की शोभा बढ़ाते रहे हैं. उन्हें 2020 के इस मगहर महोत्सव में जगह नहीं दी गई.
कई पुरस्कारों से किए जा चुके हैं सम्मानित
मशहूर शायर डॉक्टर असद निजामी देश के कई हिस्सों में सम्मानित भी किए जा चुके है. इनकी कई किताबें भी छप चुकी हैं. इतना ही नहीं उन्हें, सम्मान में डॉक्टर की उपाधि से भी नवाजा गया है. इतनी बड़ी शख्सियत को मगहर महोत्सव की समिति ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इसको लेकर असद निजामी ने अपना दर्द बयां किया है.
मगहर कबीर चौरा के महंत विचार दास का कहना है कि एक बड़ी भूल हुई है, क्योंकि मगहर महोत्सव में जो कार्यक्रम होते हैं, उनमें सबसे पहले स्थानीय कलाकारों को तरजीह दी जानी चाहिए. लेकिन समिति से एक बड़ी भूल हुई है. डॉक्टर असद निजामी का नाम शायरों की लिस्ट में नहीं है.
आम तौर पर मुशायरों में किसको बुलाना चाहिए या नहीं, ये तो महोत्सव समिति का काम है. लेकिन यह एक ऐसा उत्सव है जो सरकारी भी है और कबीर के पैगाम को आगे बढ़ाने के लिए है. इसका एक खास मकसद है, कि जो स्थानीय कलाकार हैं, उनको प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाए.
डॉ. असद निजामी, शायर