संभलःजिले में नगर पालिका ( Sambhal Municipality) में बड़े भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है. यहां सप्लाई दिए बगैर ठेकेदार ने भुगतान के लिए फाइल को विभाग में प्रस्तुत कर दिया. पूरे मामले की जांच में खुलकर आया कि सप्लाई आई ही नहीं है, फिर भुगतान किस लिए किया जाए. इस मामले में फर्म के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है. इस पूरे प्रकरण में उन कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई है, जिन्होंने ठेकेदार की भुगतान को फाइल पास किया था. अब ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है.
दरअसल संभल नगर पालिका में वर्ष 2017 में चूना या सेलखरी का टेंडर निकाला गया था. जिसके लिए मैसर्स सनलाइट इंटरप्राइजेज संभल नाम की फर्म ने टेंडर में प्रतिभाग किया था. यही नहीं टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद फर्म ने पालिका को 2670 कुंतल चूना खरीदा जाना बताया था. हालांकि फर्म मालिक का उक्त टेंडर का भुगतान नहीं हुआ था. जिसके बाद फर्म मालिक रिहानुल हुदा टेंडर के भुगतान के लिए हाई कोर्ट पहुंच गए. जहां से जिला प्रशासन संभल को जांच का आदेश दिया गया. इस मामले में डीएम ने 4 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की. जहां फर्म मालिक द्वारा 2670 कुंतल चूना खरीद के बिल समिति के समक्ष पेश नहीं किए गए. जांच समिति ने उक्त टेंडर को संदिग्ध मानते हुए जांच कराई. जांच में खुलासा हुआ कि जिस फर्म के नाम से टेंडर हुआ है, उसका लाइसेंस वर्ष 2016 में ही निरस्त किया जा चुका है. लेकिन फिर भी उक्त फर्म ने तथ्य को छुपाते हुए टेंडर प्रक्रिया को अपनाया. इसके बाद डीएम के आदेश पर मैसर्स सनलाइट इंटरप्राइजेज संभल के खिलाफ कोतवाली संभल में मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए गए.
संभल नगर पालिका में खुली भ्रष्टाचार की पोल, ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज
संभल नगर पालिका (corruption in Sambhal Municipality) में जांच के बाद भष्ट्राचार का खुलासा हुआ है. इस मामले में डीएम के आदेश पर कोतवाली संभल में मैसर्स सनलाइट इंटरप्राइजेज के ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई.
इस संबंध में संभल नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी रामपाल (Sambhal Nagar Palika Parishad Executive Officer Rampal) ने बताया कि वर्ष 2017 में चूना की सप्लाई ली गई थी. भुगतान चूंकि पुराना हो गया था, इस वजह से फाइल भी संदिग्ध लग रही थी. ऐसे में ठेकेदार का भुगतान नहीं किया गया. जिसके बाद ठेकेदार भुगतान के लिए हाईकोर्ट चला गया था. इस मामले में तत्कालीन प्रशासक ने कमेटी बैठाई थी. वहीं, डीएम ने 4 सदस्यीय कमेटी गठित कर रिपोर्ट मांगी थी कि सप्लाई ली गई थी या नहीं. कमेटी की जांच में यह पाया गया कि सप्लाई आई ही नहीं थी. इसके अलावा न ही ठेकेदार यह सिद्ध कर पाया कि उसने सप्लाई दी है. जिसके बाद डीएम के आदेश पर कोतवाली संभल में मैसर्स सनलाइट इंटरप्राइजेज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई. साथ ही इसमें दोषी कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. पालिका अधिशासी अधिकारी ने बताया कि करीब 14 लाख के भुगतान का पूरा मामला सामने आया है.
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