सहारनपुर :पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए एनजीटी ने हरे पेड़ो के कटान पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. वहीं जिले में लकड़ी माफिया न सिर्फ हरे पेड़ों की कटान को खुलेआम अंजाम दे रहे है बल्कि एनजीटी के आदेशों की भी जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं.
शिवालिक हो या सामाजिक वानिकी प्रभाग हर तरफ हरे पेड़ों पर वन माफिया का आरा विभाग की मिलीभगत से लगातार चल रहा है. सामाजिकी प्रभाग में जहां आम के बाग जड़ से उखाड़े जा रहे हैं, वहीं शिवालिक के आरक्षित वन क्षेत्र में वन माफिया डंके की चोट पर हर दिन लाखों रुपये की वन संपदा से अपनी तिजोरियां भर रहे हैं. वन विभाग अधिकारी लकड़ी माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.
धड़ल्ले से चल रही है बागों की कटान
तहसील बेहट में बागवानी फसलों के पोषण के लिए सरकार ने 1990 में अधिसूचना जारी की थी, लेकिन अधिसूचना से अब तक के हालात की समीक्षा की जाए तो आम के बाग 40 प्रतिशत ही बचे हैं. वन विभाग की मिलीभगत से आम के बागों की कटान धड़ल्ले से चल रही है. आलम यह है कि वन कर्मियों की मिली भगत से अवैध कटान कर हरे-भरे पेड़ काट दिए गए. शिवालिक रेंज में आए दिन शीशम व सागौन के सैकड़ों पेड़ काटे जा रहे हैं.
प्रतिबंधित हरे पेड़ो पर चल रहा आरा. क्या कहते हैं जिम्मेदार?
वन संरक्षक वीरेंद्र कुमार जैन ने बताया अवैध कटान दो तरह की होती है, एक सरकारी और दूसरा निजी . निजी वृक्षों की कटान के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया के मुताबिक पेड़ कटान के लिए विभाग अनुमति देता है. उन्होंने बताया कि अवैध कटान के ज्यादातर मामले किसानों के निजी खेतों से कटान के आए हैं. पिछले 6 महीनों में विभाग ने कार्रवाई करते हुए करीब 8 लाख जुर्माना वसूल किया है. इसके अलावा सरकारी पेड़ों के कटान में अभी तक पांच वाहनों को सीज किया गया है. इतना ही नहीं जंगल में अवैध कटान को रोकने के लिए प्रभावी क्षेत्रो में विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारियों की गश्त बढ़ा दी गई है.