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इस योजना से आत्मनिर्भर हो रही महिलाएं, ले रहीं मार्केटिंग ट्रेनिंग

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Published : Apr 20, 2021, 8:59 PM IST

एक साल पहले कोरोना वायरस की वजह से जहां बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए. वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने चाइनीज सामानों पर प्रतिबंध लगाकर, देश के नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान किया. आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने स्वरोजगार योजना लागू कर न सिर्फ पुरुषों को रोजगार का अवसर दिया है. बल्कि महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है.

लकड़ी के खिलौने बनाती महिलाएं.
लकड़ी के खिलौने बनाती महिलाएं.

सहारनपुर: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) योजना के तहत महिलाओं को लकड़ी के खिलौने बनाने का प्रशिक्षण देने की पहल की गई है. इन दिनों जिले में महिलाओं को लकड़ी के खिलौने बनाना सिखाया जा रहा है. बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं लकड़ी की कार, ट्रक, जीप आदि खिलौने बनाना तो सीख ही रही हैं. साथ ही मार्केटिंग की ट्रेनिंग भी ले रही हैं. ताकि महिलाएं खिलौने बनाकर खुद ही मार्केटिंग कर बाजार में बेच सकें. इससे इन खिलौनों की बिक्री से होने वाला पूरा मुनाफा महिलाओं को मिल सकेगा.

रिपोर्ट.

पीएम मोदी के आह्वान पर की पहल

मार्च 2020 में समूचा देश कोरोना वायरस की चपेट में आया था. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन लगने से जहां पूरा देश थम गया था. वहीं बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए थे. प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर सहारनपुर के NRLM विभाग ने ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार की अनोखी पहल की है. NRLM योजना के अंतर्गत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को खिलौने बनाने सिखाए जा रहे हैं. एक साथ कई गांवों की महिलाएं लकड़ी के खिलौने बनाना सीखकर खुद आत्मनिर्भर बन रही हैं.

वुडन टॉय

वुडन टॉय के साथ मार्केटिंग की ट्रेनिंग

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से उनके परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. NRLM की ओर से स्वयं सहायता समूह को स्वरोजगार देने की पहल की गई. यहां ग्रामीण समूह में आई महिलाएं लकड़ी के खिलौने तो बनाना सीख ही रही हैं. साथ खिलौने बेचने के लिए मार्केटिंग की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. 20 से ज्यादा महिलाओं का यह समूह कड़ी मेहनत से ट्रेनिंग ले रहा है. मार्केटिंग ट्रेनिंग लेकर खुद बाजारों में जाकर अपने सामान को बेच सकेंगी. बाजार में खिलौनों को बेचने से होने वाला पूरा मुनाफा सीधा महिलाओं के खाते में जाएगा. महिलाओं का कहना है कि समूह के जरिए इन खिलौनों को छोटी दुकानों से शोरूम और बड़े बाजारों तक स्वयं बेचने का काम करेंगी.

वुडन टॉय बनाती महिलाएं.

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जानिए कितनी होगी इनकम

NRLM अधिकारी अरुण कुमार उपाध्याय ने बताया कि स्वयं सहायता महिला समूह को खिलौने बनाने के लिए 50 हजार तक का अनुदान दिया जाता है. इससे समूह की मुखिया लकड़ी एवं लकड़ी काटने के उपकरण, पॉलिश, फेविकॉल और खिलौने बनाने सबंधी सामान खरीद कर काम शुरू कर सकें. खिलौने बनाकर जहां महिलाएं 9 से 12 हजार रुपये महीना कमा सकती हैं. वहीं समूह की मुखिया 20 से 25 हजार रुपये तक की आमदनी कर सकती हैं. खिलौने बनाने के लिए महिलाओं को न्यूनतम 300 रुपये मानदेय दिया जाता है. इसके अलावा समूह की मुखिया अपने खिलौनों की स्वयं मार्केटिंग कर आमदनी को बढ़ा सकती है. जिसकीं स्पेशल ट्रेनिंग NRLM की मिशन मैनेजर द्वारा दी जा रही है.

वुडन टॉय बनाती महिलाएं.

एजुकेशनल खिलौने बनाना मुख्य उद्देश्य

ट्रेनर नजमा ने बताया कि यूं तो लकड़ी का काम सहारनपुर में बड़े पैमानें पर किया जाता है. NRLM योजना के तहत महिलाओ के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं से इस बाबत बात की तो इन्होंने लकड़ी के खिलौने बनाने में रुचि दिखाई. इसके बाद उनके नाम पंजीकृत कर प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है. NRLM का मुख्य उद्देश्य एजुकेशनल खिलौने बनाना है. ताकि शिक्षा विभाग में महिलाओ द्वारा बनाए गए खिलौनों को बेचा जा सके.

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