सहारनपुर: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरे का त्योहार मनाने की तैयारियां जोरों पर चल रही है. जहां भगवान राम की लीलाओं का मंचन अंतिम दौर में चल रहा है, वहीं दशहरे के दिन जलाए जाने वाले रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले भी बनाये जा रहे हैं. सहारनपुर की बात करे तो यहां एक मुस्लिम परिवार कई पीढ़ियों से इन पुतलों को बनाता आ रहा है. मुजफ्फरनगर के चरथावल निवासी इंतजार अली 30 सालों से रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले बनाकर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की अनूठी मिसाल कायम कर रहे हैं. उनके परिवार के सदस्य अपनी टीमों के साथ कई शहरों में एक महीने की मेहनत से इन पुतलों को मूल रूप देने में लगे हुए हैं.
साम्प्रदायिक सौहार्द का दे रहे संदेश
एक ओर जहां राजनेता जाति धर्म के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं, वहीं इंतजार अली का परिवार दशहरे पर दहन होने वाले रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले बनाकर न सिर्फ साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रहे है बल्कि इन्होंने कट्टरपंथी लोगों को भी करारा जवाब दिया है. दशहरे के दिन जहां हिन्दू समाज के लोग रावण दहन के बाद धर्म लाभ उठाते हैं वहीं पुतले बनाने के वाले ये मुस्लिम कारीगर इन पुतलों को बनाकर रोजी-रोटी के साथ पुण्य लाभ कमा रहे हैं.
ईटीवी से बातचीत में इंतजार अली ने कहा