सहारनपुर:कोविड-19 के चलते पूरे देश में जहां एक तरफ लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान करीब तीन महीनों से बंद धार्मिक स्थलों को सरकार ने 8 जून से खोलने की अनुमति दी थी. लेकिन इसके लिए सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सवाल उठाए हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने इस मामले में सरकार पर मुस्लमानों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है.
मस्जिद में 50 लोगों को मिले नमाज की इजाजत- जमीयत उलेमा ए हिंद - अनलॉक-1 समाचार
लॉकडाउन के चलते करीब 3 महीनों तक बंद रहे धार्मिक स्थलों को अनलॉक-1 में खोलने का फैसला लिया गया. जिसके बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सरकार पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है.
8 जून से मंदिर-मस्जिद समेत सभी धार्मिक स्थलों को नए नियमों के तहत खोलने के निर्देश दिए हैं. वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सरकार पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह सरकार भेदभाव की नीति से काम कर रही है. चाहे वह धारा 370, बाबरी मस्जिद, तीन तलाक या एनआरसी हो. सरकार ने मस्जिदों में एक साथ 5 लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी है. इसकी जगह कम से कम 25 से 50 लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति देनी चाहिए थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, अनलॉक-1 में बाजारों में भीड़ बढ़ रही है, उससे आने वाले समय में हालात खराब हो सकते हैं.