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श्रीनगर में शहीद हुआ रायबरेली का सपूत, शोक में डूबे लोग

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के रहने वाले सीआरपीएफ के जवान शैलेंद्र प्रताप सिंह श्रीनगर में एक आतंकी हमले में शहीद हो गए. जब यह खबर गांव में फैली तो सभी लोग शोक में डूब गए.

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शहीद के गांव में शोक में डूबे लोग.

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Published : Oct 5, 2020, 10:20 PM IST

रायबरेली:जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के बहादुर जवान शैलेंद्र प्रताप सिंह शहीद हो गए. सोमवार को दोपहर बाद आई इस दु:खद खबर से परिवार में कोहराम मच गया. शैलेंद्र प्रताप सिंह की शहादत से जहां एक ओर पूरे शहर में उदासी छा गई, वहीं मलिकमऊ कॉलोनी स्थित उनके घर पर संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लग गया. प्रशासनिक अधिकारियों समेत तमाम राजनीतिक दल के लोग भी शोकाकुल परिवार से मिलने पहुंचे.

शहीद के गांव में शोक में डूबे लोग.

मलिकमऊ कॉलोनी निवासी राज बहादुर सिंह कहते है कि शहीद जवान शैलेंद्र प्रताप सिंह के पिता नरेंद्र सिंह आईटीआई में कार्यरत थे. शैलेंद्र उनका इकलौता पुत्र था. इसके अलावा उनकी 3 बेटियां भी हैं. अभी हाल ही में नरेंद्र सिंह मई माह में आईटीआई से रिटायर हुए थे. कुल मिलाकर अब परिवार का केवल वही कमाऊ आदमी थे. उनके जाने से परिवार को बड़ा झटका लगा है.

राज बहादुर सिंह ने बताया कि शहीद का एक 10 वर्षीय पुत्र भी है. पत्नी, बच्चे और बुजुर्ग मां-बाप के अलावा परिवार के बाकी सदस्य भी उन्हीं पर आश्रित थे. वहीं एक अन्य पारिवारिक मित्र निरंकार सिंह कहते है कि शहीद के पिता बेहद सज्जन व्यक्ति हैं. अक्सर शाम को उनसे मुलाकात भी होती है. छुट्टियों पर जब शैलेन्द्र घर आते थे, तब उनसे भी भेंट होती थी. वे बेहद मृदुभाषी व्यक्ति थे.

निरंकार सिंह ने बताया कि शहीद शैलेंद्र प्रताप सिंह परिवार के साथ ही आस पड़ोस और इष्ट मित्रों से भी काफी लगाव रखते थे. अचानक आई इस खबर से सभी हतप्रभ हैं और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं.

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रायबरेली के बेटे के शहीद होने की खबर आते ही तमाम प्रशासनिक अधिकारियों समेत राजनीतिक दलों के नेता भी शहीद के घर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचने लगे. मौके पर परिवार के परिचित और परिजनों की भीड़ भी उमड़ी नजर आई. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शहीद के परिजनों को 50 लाख की धनराशि, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और शहीद के नाम पर एक सड़क के नामकरण की घोषणा की गई है.

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