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दुष्कर्म पीड़िता का बयान हो सकता सजा का पर्याप्त आधार: हाईकोर्ट - High court news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68 साल के दुष्कर्म आरोपी को 43 साल बाद कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए जेल भेज दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म पीड़िता का बयान अभियुक्त को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त आधार हो सकता है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Nov 15, 2022, 8:58 PM IST

Updated : Nov 15, 2022, 9:36 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म पीड़िता का बयान अभियुक्त को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त आधार हो सकता है. पीड़िता के बयान को अन्य साक्ष्यों से सुसंगत साबित करना अनिवार्य नहीं है. इसी प्रकार से कोर्ट ने दुष्कर्म के अभियुक्त की अधिक आयु को सजा माफ करने का आधार मानने से इनकार कर दिया.

कोर्ट ने 43 साल पुराने दुष्कर्म के मामले में 68 साल के अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने का निर्देश देते हुए उसकी अपील खारिज कर दी है. ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त को 6 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. मेरठ के ओमप्रकाश की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने दिया.

बिनौली थाना क्षेत्र मेरठ के ओम प्रकाश के खिलाफ पीड़िता के पिता ने 4 अक्टूबर 1979 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उसकी 10 वर्षीय पुत्री जोकि जंगल में घास काटने गई थी. उसे ओमप्रकाश घसीटकर एक खेत में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता के शोर मचाने पर उसका भाई व पिता घटनास्थल पर पहुंचे. उनको देखकर ओमप्रकाश मौके से भाग गया. मेरठ के महिला चिकित्सालय में पीड़िता की मेडिकल जांच कराई गई. जांच से पीड़िता की आयु 10 वर्ष होने व उसके साथ दुष्कर्म किए जाने की पुष्टि हुई. ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त ओमप्रकाश को 6 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई. इसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी.

बचाव पक्ष का कहना था कि मेडिकल जांच करने वाली डॉक्टर का ट्रायल के दौरान परीक्षण नहीं किया गया. इसी प्रकार से जांच अधिकारी का भी परीक्षण नहीं किया गया. बचाव पक्ष का यह भी कहना था कि दो चश्मदीद गवाहों धर्मपाल व हाशिम को पेश नहीं किया गया, इसलिए इस घटना का कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है. बचाव पक्ष ने यह भी आधार लिया कि घटना 43 साल पुरानी है. उस वक्त अभियुक्त की आयु 28 वर्ष थी और आज की तारीख में वह 68 वर्ष का है.

कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त दस्तावेजी साक्ष्य हैं और इन साक्ष्यों का बचाव पक्ष की ओर से ट्रायल के दौरान खंडन नहीं किया जा सका. पीड़िता ने अपने बयान में अभियोजन कथानक का पूरी तरीके से समर्थन किया है. साक्ष्य अधिनियम के तहत उसके अकेले का बयान सजा दिलाने के लिए पर्याप्त आधार हो सकता है. पीड़िता के बयान की अन्य सुसंगत साक्ष्यों से समानता होना अनिवार्य नहीं है. अभियुक्त की अधिक उम्र को भी राहत देने का आधार मानने से इनकार करते हुए अपील खारिज कर दी.

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Last Updated : Nov 15, 2022, 9:36 PM IST

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