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जल संरक्षण में कारगर साबित हो रही है 'खेत-तालाब योजना' - प्रयागराज न्यूज

यूपी के प्रयागराज में सरकार द्वारा किसानों से कृषि विविधीकरण करने के लिए जोर दिया जा रहा है. 'खेत-तालाब योजना' के माध्यम से अब तक 25 तालाबों का निर्माण कराया जा चुका है.

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जल संरक्षण में कारगर साबित हो रही है खेत तालाब योजना

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Published : Feb 10, 2020, 1:32 PM IST

प्रयागराज: किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार द्वारा किसानों से कृषि विविधीकरण करने के लिए जोर दिया जा रहा है. इसके लिए किसानों के लिए नई-नई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जो न सिर्फ लागत कम करें बल्कि उनकी आय में भी सहायक सिद्ध हों. सरकार के द्वारा शुरू की गई 'खेत-तालाब योजना' किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इसके माध्यम से एक ओर जहां भूगर्भ जल को बढ़ावा मिल रहा है वहीं किसान इससे खेत की सिंचाई के साथ आय दोगुनी कर रहे हैं.

जल संरक्षण में कारगर साबित हो रही है खेत तालाब योजना.
अब तक 25 तालाबों का कराया जा चुका है निर्माण
इस योजना के माध्यम से अब तक 25 तालाबों का निर्माण कराया जा चुका है, जिसमें भरे हुए पानी से सिंचाई के साथ-साथ मत्स्य पालन भी किया जा रहा है. भूमि संरक्षण विभाग के द्वारा संचालित इस योजना के माध्यम से भूगर्भ जल संरक्षण का काम हो रहा है. जिले में सात ऐसे अतिसंवेदनशील ब्लॉक हैं, जहां पर भूगर्भ जल खतरे के निशान पर है. विकास खंडों में भूगर्भ जल का असर बना रहे और खेती पर संकट न आए, इसके लिए 'खेत-तालाब योजना' के माध्यम से किसानों को प्रेरित किया जा रहा है.


किसानों को विभाग की तरफ से मिलेगा 50% का अनुदान

इस योजना के तहत किसान अपने खेत में तालाब खुदवाने के लिए आवेदन करते हैं. आवेदन के पश्चात भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारियों के द्वारा कुश का मुआयना कर अनुमति प्रदान की जाती है. तत्पश्चात तालाब खुदवाने वाले किसानों को 50% का अनुदान विभाग के द्वारा दिया जाता है.

किसान अपनी आय को कर सकते हैं दोगुनी
तालाब खुदवाने वाले किसान तालाब में पानी भर अपने फसल की समय रहते सिंचाई कर रहे हैं. वहीं भरे हुए पानी में मत्स्य पालन कर रोजगार का भी साधन बना रहे हैं. जिला भूमि संरक्षण अधिकारी गौरव प्रकाश ने बताया कि 'खेत-तालाब योजना' के माध्यम से प्रयागराज के अतिसंवेदनशील ब्लॉक में घटते भूगर्भ जल स्तर को संरक्षित करना और किसानों को रोजगार के लिए भी प्रेरित करना है. इससे किसान अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं. एक बार किसानों के द्वारा आवेदन किए जाने के बाद सभी तकनीकी पहलुओं की जानकारी और सहायता विभाग के अधिकारियों द्वारा दी जाती है.

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