प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के मामले में आरोपी आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर बुधवार को सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया. कोर्ट नौ सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने बुधवार को लगभग दो घंटे तक चली सुनवाई के बाद दिया है. इससे पूर्व गत दो सितंबर को सीबीआई की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश के हट जाने के कारण अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी थी.
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी व इमरान उल्लाह का कहना था कि याची व महंत नरेंद्र गिरि में मनमुटाव हुआ था, जिसे लेकर विवाद हुआ. उसके बाद मार्च 2021 में आनंद गिरि हरिद्वार चले गए थे और बाघंबरी मठ से संबंध तोड़ लिया था. मई 2021 में इंदु मिश्र ने लखनऊ में गुरु व शिष्य के बीच समझौता कराया. उसके बाद याची ने कभी नरेंद्र गिरि से संपर्क नहीं किया और न ही नरेंद्र गिरि ने उन्हें फोन किया. उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरि की मौत से पहले छह महीने तक याची का किसी प्रकार से कोई संबंध नहीं था.
केवल अफवाह के आधार पर याची को आत्महत्या से जोड़ा गया है. नरेंद्र गिरि ने भी सुनी हुई बातों को लेकर मृत्यु पूर्व सुसाइड नोट लिखा है. किसने उन्हें बताया कि याची वीडियो वायरल कर उन्हें बदनाम कर देगा. नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नोट में उसके नाम का जिक्र नहीं किया.
दूसरी तरफ आद्या प्रसाद की नरेंद्र गिरि से काफी कहासुनी हुई थी. कठोर अपशब्द कहे थे. सीबीआई याची के खिलाफ आरोपों की पुष्टि के सबूत जुटाने में नाकामयाब रही है. याची को सुसाइड नोट के आधार पर सहारनपुर से गिरफ्तार कर प्रयागराज लाया गया. नरेंद्र गिरि की आत्महत्या से याची को कोई लाभ की संभावना नहीं थी क्योंकि नरेंद्र गिरि ने याची को मठ से निकाल दिया था और सतुआ बाबा से बात की तथा हरिद्वार जाने को कहा था और आत्महत्या कर ली. बाघंबरी गद्दी में 16 सीसीटीवी कैमरे लगे थे. नरेंद्र गिरि ने एक सप्ताह पहले डाटा खत्म करा दिया था. वह क्या छिपाना चाहते थे. फार्मेट से डिलीट डाटा क्लाउड में रहता है और सीबीआई ने इसे देखने की जरूरत नहीं समझी.