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बजरंग दल संयोजक को शस्त्र लाइसेंस देने पर निर्णय लेने का निर्देश

शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन अलग-अलग मामलों की सुनवाई की. एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बजरंग दल संयोजक को शस्त्र लाइसेंस देने पर निर्णय लेने का निर्देश प्रयागराज प्रशासन को दिया. एक अन्य मामले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि केवल आपराधिक केस दर्ज होने पर चयनित की नियुक्ति से इनकार करना गलत है. कोर्ट ने एसपी अमरोहा के आदेश को रद्द कर दिया.

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Published : Dec 5, 2020, 9:57 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रसूलाबाद (प्रयागराज) निवासी बजरंग दल संयोजक प्रयाग विभाग विजय कुमार पाण्डेय को शस्त्र लाइसेंस देने पर सक्षम अधिकारी को दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायाधीश अश्विनी कुमार मिश्र ने विजय कुमार पाण्डेय की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता शिवम द्विवेदी ने बहस की.

याची का कहना है कि उस पर हमला किया गया है. जान से मारने की धमकी मिल रही है. पुलिस रिपोर्ट पक्ष में होने के बावजूद शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया जा रहा है. याची ने 12 अक्टूबर 2018 को अर्जी दी है. नियम 13 के अनुसार पुलिस रिपोर्ट आने के 60 दिन के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए. याची की जान को खतरा है और प्रशासन कोई निर्णय नहीं ले रहा है.

केवल आपराधिक केस दर्ज होने पर चयनित की नियुक्ति से इनकार गलत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हल्के दो आपराधिक मामले में लिप्त होने के आधार पर पुलिस कांस्टेबल पद पर चयनित मूनी को केस तय होने तक नियुक्ति का इंतजार करने के आदेश देने पर एसपी अमरोहा की तीखी आलोचना की है. कोर्ट ने एसपी के आदेश को रद्द कर दिया है.

कोर्ट ने कहा कि एसपी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ निर्णय लेने पर प्रतिकूल टिप्पणी करने के बजाय पुनर्विचार करने के लिए प्रकरण वापस भेजा जा रहा है. कोर्ट ने एसपी को याची योग्यता व मेरिट के आधार पर नियुक्ति पर दो हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने मूनी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता आलोक यादव ने बहस की.

याची का कहना था कि अवतार सिंह केस के फैसले के तहत याची ने दर्ज मामलों का खुलासा किया है. कोई तथ्य नहीं छिपाया है और न ही गलत बयान दिया है तो केस के फैसले पर निर्भर रखते हुए चयनित याची की नियुक्ति की जानी चाहिए. कोर्ट ने एसपी को निर्णय लेने का निर्देश दिया था, लेकिन मनमानापूर्ण ढंग से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समझे बगैर नियुक्त करने से एसपी ने इनकार कर दिया और कहा कि केस तय होने पर नियुक्ति दी जाएगी. याची पर दहेज उत्पीड़न जैसे आरोप में केस दर्ज है. कोर्ट ने एसपी के रुख की आलोचना की है और उनके आदेश को रद्द कर नये सिरे से उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

अस्पताल परिसर से मेडिकल शॉप हटाने के खिलाफ याचिका पर जवाब-तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल प्रयागराज परिसर की दो मेडिकल दुकानों को हटाने के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्राचार्य के आदेश की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने हलफनामे में राज्य सरकार से भवन निर्माण का अंतिम प्रस्ताव व प्लान भी दाखिल करने को कहा है. याचिका की सुनवाई 10 दिसंबर को होगी.

यह आदेश न्यायाधीश अंजनी कुमार मिश्र और न्यायाधीश प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने राजेंद्र प्रसाद सिंह व वरूण अर्चनानंद की याचिका पर दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह, श्रेया गुप्ता व प्रशांत सिंह सोम ने बहस की.

याची का कहना है कि 7 सितंबर 1996 को अस्पताल परिसर में 30 साल के पट्टे पर मेडिकल दुकान का लाइसेंस मिला है. ऐसी पांच दुकानें हैं, जिनमें से दो को हटाया जा रहा है. प्राचार्य के अधिकार को ऐसा आदेश जारी करने को चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि उन्हें हटाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ पीताम्बरा मेडिकल को दुकान का पट्टा दिया जा रहा है. अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि जी प्लस 3 भवन निर्माण किया जाना है, जिसके लिए दुकान खाली कराई जा रही है.

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