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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में 20 मई को अगली सुनवाई, मंदिर पक्ष ने कहा-सर्वे में मंदिर के अवशेष मिले

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Published : May 16, 2022, 8:26 PM IST

Updated : May 16, 2022, 9:05 PM IST

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर मंदिर के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की बहस पूरी नहीं हो सकी. अगली सुनवाई 20 मई को होगी. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से वाराणसी की अधीनस्थ अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

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ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद

प्रयागराज: वाराणसी में ज्ञानवापी के तालाब में शिवलिंग मिलने और क्षेत्र को सील किए जाने की जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गई. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर हाईकोर्ट में लंबित याचिका पर सोमवार को दोपहर दो बजे के बाद सुनवाई के दौरान कोर्ट को जानकारी दी गई कि वाराणसी में एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है. उसके बाद संबंधित क्षेत्र को सील कर दिया गया है.

गौरतलब है कि, वर्ष 1991 में पं सोमनाथ व्यास और अन्य ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) वाराणसी की अदालत में दीवानी मुकदमा दाखिल किया था. इसी मामले में बीते साल सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) ने पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के आदेश के खिलाफ याचिका की है, जिस पर सुनवाई चल रही है.

सोमवार को वाराणसी के ताजा हालात की जानकारी देते हुए कहा गया कि विवादित स्थल में मंदिर के अवशेष मिलने लगे हैं. इससे स्पष्ट है कि विवादित स्थान पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर का अस्तित्व प्राचीन काल यानी सतयुग से अब तक चला रहा है. इससे पहले इंतजामिया मस्जिद एवं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने कहा कि निचली अदालत जिस मामले की सुनवाई कर रही है.

वह प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 के अंतर्गत प्रतिबंधित है. क्योंकि धारा 4 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो भी उपासना स्थल की नवैयत 15 अगस्त 1947 में थी, वह बदली नहीं जा सकती है. याचिका में मस्जिद की जगह मंदिर बनाने की अपील की गई है, जबकि 1947 में ही राज्य सरकार ने इसे मस्जिद घोषित कर सुन्नी वक्फ बोर्ड के हवाले कर दिया था. इस कारण यह सुनवाई जो वाराणसी में चल रही है वह नहीं हो सकती है. समयाभाव के कारण बहस पूरी न हो सकने पर न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने इस मामले की सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख लगा दी. कोर्ट उस दिन इस मामले की सुनवाई दोपहर 12 बजे शुरू करेगी.

मंदिर की ओर से अधिवक्ता रस्तोगी ने अधीनस्थ अदालत की ओर से भेजे गए कमिश्नर की सर्वे कार्यवाही की जानकारी दी. साथ ही कहा कि विवादित जमीन मंदिर की होने के खुलासे हो रहे हैं. इससे पहले पिछली तारीख को रस्तोगी ने कहा था कि संपत्ति वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत होने मात्र से उसे पर गैर मुस्लिमों का अधिकार खत्म नहीं हो जाता.

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उन्होंने कहा कि 1960 के वक्फ एक्ट में 1984 में संशोधन किया गया लेकिन वह लागू नहीं हो सका. संशोधन में वक्फ बोर्ड और गैर मुस्लिम के बीच संपत्ति विवाद की दशा में नोटिस जारी किया जाना अनिवार्य है. लेकिन वादी विपक्षी को कोई नोटिस नहीं दिया गया. इस कारण भी वक्फ एक्ट इस मामले में लागू नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि 1995 का वक्फ एक्ट लागू किया गया तो सभी वक्फ संपत्तियों का दोबारा पंजीकरण करना अनिवार्य किया गया है. लेकिन विवादित संपत्ति कभी भी दोबारा पंजीकृत नहीं कराई गई है, इसलिए विवादित संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जा सकता. पंजाब वक्फ बोर्ड बनाम शैम सिंह केस में कहा गया है कि विवादित जमीन वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा कि वर्ष 1936 में दीन मोहम्मद, मोहम्मद हुसैन और मोहम्मद जकारिया ने बनारस स्थित अधीनस्थ अदालत में घोषणात्मक वाद दाखिल किया था, जिसमें मौजा शहर खास, परगना देहात अमानत, बनारस गाटा 9130 रकबा एक बीघा नौ बिस्वा छह धुर, चबूतरा, पेड़, पक्का कुंआ आदि को वक्फ संपत्ति घोषित करने और अलविदा नमाज पढ़ने की प्रार्थना की गई थी.

अदालत ने दावा साबित न कर पाने के कारण वाद खारिज कर दिया था. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में प्रथम अपील 1937 में दाखिल की गई, जो 1942 में निर्णीत हुई, जिसमें केवल वादी को ही नमाज पढ़ने की राहत मिली थी, जिसका फायदा दूसरा कोई नहीं उठा सकता इसलिए याचिका खारिज की जाए. केंद्र सरकार के अपर सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह औप राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने कहा कि जो भी कोर्ट आदेश करेगी वह पालन करेंगे.

कोर्ट अधीनस्थ अदालत के विवादित परिसर का एएसआई से सर्वे कराने के आदेश पर लगी रोक 31 मई तक बढ़ा चुकी है. समय की कमी के कारण सोमवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. याचिका की अगली सुनवाई 20 मई को होगी.

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Last Updated : May 16, 2022, 9:05 PM IST

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