प्रयागराज:संगम के किनारे साधुओं का जमावड़ा लगाना कोई आम बात नहीं है. घाट के किनारे सुबह होते ही गंगा में स्नान करने के लिए साधू-महात्मा तो आते ही हैं, वहीं संगम किनारे एक ऐसा पीपल का पेड़ भी है, जहां सुबह होते ही अघोरी बाबाओं का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है. पेड़ के नीचे चिलम दहकती है और अघोरी बाबा भस्म लगाए श्रृंगार कर भिक्षा मांगने के लिए निकल पड़ते हैं.
जानिये, भिक्षा मांगकर जीवन बिताने वाले अघोरियों की क्या है इच्छा
प्रयागराज में संगम किनारे पीपल के पेड़ के नीचे भस्म लगाकर भिक्षा मांगने वाले अघोरी बाबा हर रोज भिक्षा मांगने निकल जाते हैं. वहीं इन अघोरियों का कहना है कि हम तो भिक्षा मांगकर जीवन-यापन कर लेते हैं, लेकिन हमारे परिवार का भविष्य खतरे में है. ऐसे में सरकार को उनके लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.
अघोरी बाबाओं ने सरकार से की बेहरत भविष्य की मांग.
भिक्षा मांगकर करते हैं जीवन यापन
- बाबा सिद्धि नाथ के अनुसार ये लोग मजबूरी की वजह से अपने परिवार का मोह त्यागकर बाबा बनते हैं.
- अपने शरीर पर काले वस्त्र धारण कर चेहरे पर भस्म लगाकर भिक्षा मांगते हैं.
- दिनभर में जो कुछ मिलता है, उसी से अपना पेट पालते हैं.
- सभी बाबा सुबह होते ही चिलम दहकाते हैं और शरीर पर भस्म लगाते हैं.
- इसके साथ ही माथे पर तिलक लगाकर, हाथ में कमंडल लिए भिक्षा मांगने निकल जाते हैं.
- हर सुबह सभी बाबा पीपल के पेड़ नीचे एकत्रित होकर भगवान शिव की आराधना भी करते हैं.
सभी बाबाओं को यही उम्मीद है कि जिस तरह दुनिया बदल रही है, उसी तरह बाबाओं के हित में सरकार कुछ कार्य करेगी. हम अपने परिवार को त्याग कर जीवन व्यतीत करते हैं. सरकार को हमारे लिए कुछ न कुछ करना चाहिए, जिससे हमारी पीढ़ी में कुछ सुधार हो सके.
-बाबा सिद्धि नाथ, अघोरी