प्रयागराज:अटाला इलाके में हुई पत्थरबाजी और बवाल के केस में पुलिस ने मास्टरमाइंड जावेद पंप के खिलाफ 5 जून को भी एक मुकदमा दर्ज किया था. करेली थाने के दारोगा की तहरीर पर सोशल मीडिया में भड़काऊ बयान जारी करने के लिए मुकदमा दर्ज करवाया गया था. पुलिस ने जावेद पंप के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे कि जावेद पंप आगे कोई साजिश न रचता और 10 जून को अटाला इलाके में हुए बवाल के जैसी घटना न होती.
पुलिस की तरफ से जावेद पंप के खिलाफ 9 जून को भी 107/116 के तहत कार्रवाई की गई. लेकिन, स्थानीय पुलिस ने कार्रवाई को खानापूर्ति तक ही सीमित रखा. शायद पुलिस की इसी लापरवाही का नतीजा 10 जून को अटाला इलाके में हुई हिंसा के रूप में देखने को मिला था. क्योंकि पुलिस ने जिस तरह से 5 और 9 जून को जावेद पंप के खिलाफ केस दर्ज करने की कार्रवाई की, उसी समय अगर पुलिस अफसर या थानेदार के स्तर से मामले को गंभीरता से जांच-पड़ताल की जाती तो अटाला की घटना होने से टल सकती थी.लेकिन, पुलिस के आलाधिकारियों ने स्थानीय पुलिस की लापरवाही उजागर होने के बावजूद किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
कानपुर हिंसा के बाद शासन-प्रशासन और कोर्ट के खिलाफ सोशल मीडिया पर किया था भड़काउ पोस्ट
तीन जून को कानपुर हिंसा के बाद पुलिस द्वारा की जा रही कानूनी कार्रवाई औऱ गिरफ्तारी के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. इसकी जानकारी मिलने के बाद पुलिस की तरफ से 5 जून को करेली थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया. दारोगा की तहरीर पर जावेद पंप के खिलाफ 295 A, 505(1)(B), 505 (2) और 67 आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था. इसमें इंस्पेक्टर अरविंद कुमार की तरफ से दी गई तहरीर में जावेद पंप पर न्यायालय के फैसले के खिलाफ लोगों को भड़काने और धर्म, वर्ग, जाति विशेष के बीच घृणा फैलाने का आरोप लगाया गया. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भड़काउ पोस्ट करके वैमनस्यता फैलाने और शहर का माहौल खराब करने का भी आरोप लगाया गया था.
पुलिस की तरफ से दी गई तहरीर में लिखा गया था कि 4 जून को जावेद ने अपने मोबाइल से समाज को भड़काने वाला पोस्ट सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. इसमें लिखा हुआ था कि कानपुर हिंसा में अब तक 30 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. पुलिस पकड़े गए लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने की बात कह रही है. पुलिस की कार्रवाई किस पर होगी यह बड़ा सवाल है. आज यदि सरकार सख्ती करे तो कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म पर अभद्र टिप्पणी नहीं कर सकता. लेकिन, सरकारें खामोश हैं और ऐसे तत्वों को बढ़ावा दे रही हैं.
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इतना ही नहीं जावेद मोहम्मद ने दूसरा पोस्ट भी डाला, जिसमें न्यायालय को भी नहीं बख्शा गया. दूसरी पोस्ट में जावेद पंप ने लिखा कि अब अदालतों पर भी इनका कब्जा है. इसलिए यह दूसरों को बेवकूफ बनाने की बात कर रहे हैं. इंस्पेक्टर की तहरीर में कहा गया है कि जावेद के इन पोस्टों को देखकर पता चलता है कि वो किस हद तक जाकर लोगों को भड़काने का प्रयास कर रहा था. वो सरकरा, शासन-प्रशासन के साथ ही न्यायालय के खिलाफ भी टिप्पणी करने से बाज नहीं आ रहा था.
लापरवाही की अनदेखी करने पर भी उठे सवाल
प्रयागराज के तेज तर्रार एसएसपी छोटी घटनाओं में भी पुलिस वालों पर निलंबन और लाइन हाजिर तक करने की कार्रवाई करने का रिकॉर्ड कायम कर देते हैं. लेकिन, अटाला इलाके में हुई अब तक की सबसे बड़ी हिंसा, उपद्रव और पत्थरबाजी की घटना में उन्हें पुलिस की कोई कमी नहीं मिल पाई है. घटना से चार दिन पहले तक मास्टरमाइंड के खिलाफ मुकदमे दर्ज होने लगे. लेकिन, थाने से लेकर आलाधिकारी स्तर तक के किसी अधिकारी ने उन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया. बल्कि पुलिस प्रशासन के अधिकारी लगातार उसी मास्टरमाइंड के साथ मिलकर शांति कायम करने की बैठकें करते रहे. आखिर इतनी बड़ी लापरवाही की जिम्मेदारी कौन तय करेगा. क्योंकि पुलिस की तरफ से समय रहते सख्त कार्रवाई कर दी गई होती तो शायद 10 जून को इतना बड़ा बवाल नहीं हुआ होता. वहीं, दूसरी तरफ आरोपियों के परिवार वाले बिना वजह फंसाने और बैकडेट में नोटिस जारी करने व अन्य कार्रवाई करने का आरोप लगा रहे हैं.
एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष समेत सपा पार्षद के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी
10 जून को खुल्दाबाद थाना क्षेत्र के अटाला इलाके में हुए बवाल के 5 आरोपियों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया गया है. इसमें एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष शाह आलम और सपा पार्षद फजल का नाम भी शामिल है. पुलिस ने सपा पार्षद फजल के साथ ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के जिलाध्यक्ष शाह आलम के खिलाफ उनके पार्टी के नेता जीशान रहमानी के नाम भी एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया गया है. इनके साथ ही वामपंथी नेता डॉ. आशीष मित्तल और उमर खालिद के नाम भी एनबीडब्ल्यू जारी किया गया है. पुलिस ने इन सभी को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने समय रहते आत्म समर्पण नहीं किया तो पुलिस उनके खिलाफ कुर्की का आदेश जारी करवाकर कुर्की की कार्रवाई करेगी. इन सभी आरोपियों का नाम सीएए-एनआरसी आंदोलन के दौरान भी सामने आया था. उस वक्त भी पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी.
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