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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक अहमद के नाबालिग बेटों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी - Child Protection Home

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक अहमद के नाबालिक बेटों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा जब दोनों बच्चे बाल संरक्षण गृह में है तो याचिका पोषणीय नहीं है.

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अतीक अहमद

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Published : Apr 11, 2023, 10:02 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अतीक के दोनों नाबालिग बेटे आजम अहमद और आबान अहमद की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी है. यह याचिका उन्होंने अपनी मां शाइस्ता परवीन के मार्फत दाखिल की थी. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची ने सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इलाहाबाद के यहां अवैध हिरासत को लेकर पहले ही प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर पुलिस अपनी रिपोर्ट देकर यह बता चुकी है कि दोनों को बाल संरक्षण गृह में रखा गया है. इस स्थिति में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा की गई आपत्ति को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है.

याचिका पर न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की खंडपीठ ने सुनवाई की. याचिका में कहा गया था कि आजम अहमद और आबान अहमद कक्षा 12 व कक्षा नौ के छात्र हैं और दोनों नाबालिग हैं. इनके पिता अतीक अहमद वर्ष 2017 से जेल में बंद हैं. दोनों अपनी मां शाइस्ता परवीन के साथ रहते हैं. 24 फरवरी 2023 को शाम 6 बजे धूमनगंज, खुल्दाबाद और पूरामुफ्ती थानों की पुलिस इनके घर में जबरदस्ती घुस आई और बिना किसी समन या वारंट के दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया और अवैध रूप से हिरासत में रखा हुआ है और मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न किया जा रहा है.

इसके बाद एक संपूरक प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा गया कि पुलिस ने दोनों को 1 मार्च 2023 को गिरफ्तार किया था, जबकि शाइस्ता परवीन ने 27 फरवरी को सीजेएम के समक्ष प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा था कि उसके दोनों बेटों को पुलिस ने अवैध हिरासत में रखा हुआ है, इसकी रिपोर्ट मंगाई जाए. पुलिस द्वारा सीजीएम न्यायालय में सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि शाइस्ता परवीन भी उमेश पाल हत्याकांड में नामजद हैं और वह फरार चल रही हैं. उसके ऊपर 25,000 का इनाम है.

उसके दोनों बेटे लावारिस हालत में पाए गए, जिनको की बाल संरक्षण गृह में रखा गया है. राज्य सरकार की ओर से इस मामले में प्रारंभिक आपत्ति करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता एके सड ने कहा कि याची ने सीआरपीसी की धारा 97 के तहत सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय (सीजेएम ) के समक्ष वैकल्पिक उपचार प्राप्त कर लिया है. पुलिस ने सीजीएम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर यह भी बता दिया है कि दोनों को बाल संरक्षण गृह में रखा गया है. इस स्थिति में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं है.

इसके जवाब में याची पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि इसके बावजूद वैकल्पिक उपचार प्राप्त करने पर कोई रोक नहीं है । कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा की गई आपत्ति को स्वीकार करते हुए कहा की यदि इस स्थिति में यदि यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों बाल संरक्षण गृह में कैसे पहुंचे तब भी यह स्पष्ट है कि न्याय प्रशासन अपना काम कर रहा है । याची गण पहले ही सीआरपीसी की धारा 97 के तहत सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय से प्रभावी वैकल्पिक उपचार प्राप्त कर चुके हैं। इसलिए स्थापित विधि के अनुसार बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी नहीं की जा सकती है.

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