उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

अलग-अलग मामलों में एक साथ चल सकता है ट्रायलः हाईकोर्ट

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दो अलग-अलग मामलों में दर्ज मुकदमे का ट्रायल एक साथ चलाने में कोई रोक नहीं है.

High court news
High court news

By

Published : Jun 9, 2023, 10:52 PM IST

Updated : Jun 11, 2023, 12:43 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि दो अलग-अलग कानूनों में दर्ज मुकदमे का ट्रायल एक साथ चलाने में कोई रोक नहीं है. रोक सिर्फ एक ही अपराध के लिए 2 बार दंडित करने पर है. कोर्ट ने 4809 कार्टून इंडिया मेड विदेशी शराब बरामदगी के मामले में आरोपी गाजियाबाद के कुणाल चावला की याचिका खारिज करते हुए यह निर्णय दिया.

कुणाल चावला की याचिका पर न्यायमूर्ति समित गोपाल ने सुनवाई की. याची के गोदाम से एक्साइज विभाग की टीम ने छापामार कर 2 ट्रक व कार से इंडिया मेड विदेशी शराब के 4809 कार्टून और 266 बोतल बरामद किए थे. इस मामले में उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 420,120 बी के अलावा यूपी एक्साइज एक्ट की धारा 60, 63 और 72 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया.

26 फरवरी 2022 को पुलिस ने जांच कर इस में चार्जशीट दाखिल कर दी तथा 28 फरवरी 22 को गाजियाबाद न्यायालय ने इस पर संज्ञान ले लिया. हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका दाखिल कर चार्ज शीट और संज्ञान आदेश को चुनौती दी गई. याची के वकीलों की दलील थी कि पुलिस रिपोर्ट पर एक्साइज एक्ट की धाराओं में संज्ञान नहीं लिया जा सकता है. यह सिर्फ एक्साइज ऑफिसर की रिपोर्ट पर ही लिया जा सकता है. उनका यह भी कहना था कि आईपीसी की धारा 420 और 120 बी के तहत कोई अपराध नहीं बनता है. कोई फ्रॉड नहीं किया गया है.

कुणाल चावला और उसकी पत्नी रुचि चावला कंपनी के डायरेक्टर हैं. कंपनी को पक्षकार नहीं बनाया गया है. सिर्फ डायरेक्टर को पक्षकार बनाया गया है. यह भी कहा गया कि जिस गोदाम से शराब बरामद हुई है, वह गोदाम कंपनी का है. दूसरी ओर सरकारी वकील का कहना था याची के गोदाम पर छापा मारा गया तो वहां से अवैध शराब बरामद हुई. गोदाम में जो स्टॉक था, उसका कोई कागज नहीं दिखाया जा सका. बरामद कार्टूनों पर एफएसएसएआई का लेबल भी नहीं लगा था. ना ही उस पर मूल कंपनी का लेबल था. मुकदमे का ट्रायल शुरू हो चुका है और 2 गवाहों के बयान भी दर्ज हो चुके हैं. इस स्तर पर धारा 482 के तहत याचिका पोषणीय नहीं है.

कोर्ट का कहना था कि आईपीसी और एक्साइज एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे का एक साथ ट्रायल करने पर कोई रोक नहीं है. जहां तक गोदाम का सवाल है, यह ट्रायल के स्तर पर देखा जाएगा कि गोदाम कंपनी का है अथवा निजी गोदाम है. कोर्ट का यह भी कहना था कि आईपीसी की धाराओं में ट्रायल कोर्ट ने याची पर आरोप तय किए हैं. उस वक्त उसने इन धाराओं में उन मोचन के लिए कोई अर्जी नहीं दी. जहां तक ट्रायल के दौरान 482 के तहत याचिका दाखिल करने का सवाल है कोर्ट का कहना था कि ट्रायल के दौरान 482 के तहत याचिका दाखिल करने पर रोक नहीं है. लेकिन यह मामला हर केस की परिस्थिति के अनुसार तय किया जाना चाहिए. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

यह भी पढ़ें- जीवा की हत्या को लेकर आजम खान का पुलिस पर तंज, ये ही तो मरवाते हैं, इंस्पेक्टर ने दिया ये जवाब

Last Updated : Jun 11, 2023, 12:43 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details