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जानें...महानायक की किस बात से खुश हुए उनके पैतृक गांव बाबूपट्टी के लोग - amitabh bachchan assured to go native village

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने प्रतापगढ़ जिले में अपने पैतृक गांव बाबूपट्टी आने की इच्छा जताई है. अमिताभ बच्चन ने कौन बनेगा करोड़पति के मंगलवार को प्रसारित एपिसोड के दौरान अपनी ये इच्छा जाहिर की थी. उधर, 'बिग बी' के पैतृक गांव बाबूपट्टी आने की खबर के बाद पूरे गांव में खुशी की लहर है.

अमिताभ बच्चन ने जताई अपने पैतृक गांव बाबूपट्टी जाने की इच्छा
अमिताभ बच्चन ने जताई अपने पैतृक गांव बाबूपट्टी जाने की इच्छा

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Published : Oct 22, 2020, 12:48 PM IST

प्रतापगढ़:सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने प्रतापगढ़ में अपने पैतृक गांव बाबूपट्टी आने की इच्छा जताई है. KBC के सेट पर उन्होंने बताया कि परिवार में इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है. बताया जा रहा है कि 'बिग बी' गांव में स्कूल या अस्पताल भी बनवा सकते हैं. साल 2006 में अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन बाबूपट्टी गांव आयीं थी. जहां उन्होंने 'बिग बी' के पिता हरिवंश राय बच्चन की याद में अपनी सांसद निधि से बनाये गए पुस्तकालय का लोकार्पण किया था.

बिग बी ने जताई पैतृक गांव जाने की इच्छा
मुंह दिखाई में दिया था मुकुटअमिताभ बच्चन ने अपने पैतृक गांव आने और यहां पर स्कूल या अस्पताल खोलने की बात भी बात कही. जिससे गांव में रह रहे उनके परिजन काफी खुश हैं. 'बिग बी' की पत्नी जया बच्चन साल 2006 में बाबूपट्टी में सांसद निधि से बनाये गए हरिवंश राय बच्चन पुस्तकालय का लोकार्पण करने पहली बार यहां आयी थीं. 'बिग बी' की भाभी ने बताया कि जब जया बच्चन यहां आईं थीं तो परिवार की परंपरा के मुताबिक गांव की देवी के चबूतरे पर पूजा की थी. इस मौके पर जया बच्चन के चचिया ससुर शारदा प्रसाद ने पूजन के बाद मुंह दिखाई में उन्हें मुकुट दिया था.इंतजार करते रहे साल बीतते रहे'बिग बी' परिजनों ने के बताया कि जया बच्चन ने जाते समय वादा किया था कि अगली बार बहू और बेटे के साथ आऊंगी, लेकिन परिवार के लोग अब तक इंतजार करते रहे. अब जब 'बिग बी' ने केबीसी के सेट से घोषणा की तो परिजनों में एक बार फिर पूरे परिवार के साथ समय बिताने की आस जगी है. . 'बिग बी' के भतीजे ने बताया कि हरिवंश जी ने अपनी रचना 'क्या बोलूं क्या याद करुं' में पेज नम्बर 18 से 25 तक बाबूपट्टी और गांव का जिक्र किया है. जिसमे जब गांव से लोग पैदल गंगा स्नान करने जाते थे तो पहले उनके यहां ही रुकते थे. उन्होंने लिखा है कि चाहे या अनचाहे हो बाबूपट्टी के लिए दरवाजा हमेशा खुला रहता था और लोग गांव से चना, होरहा जो भी चीजें होती थी लोग लेकर आते थे और बच्चन जी बड़े चाव से खाते थे.

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