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पीलीभीत: स्टाफ की कमी के चलते नहीं हो पा रहा सही उपचार, बच्चे हो रहे कुपोषण का शिकार

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में महिला एवं बाल कल्याण विभाग के पास स्टाफ की कमी है. जिसके चलते बच्चे कुपोषण का शिकार होते जा रहे हैं. इस समस्या के लिए प्रशासन को कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन शांत बैठा है.

अधिकारियों की कमी से जिला पीलीभीत होता जा रहा कुपोषण का शिकार

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Published : Aug 20, 2019, 10:43 PM IST

पीलीभीत: महिला एवं बाल कल्याण विभाग के पास कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने की अहम जिम्मेदारी है, लेकिन विभाग के पास स्टाफ की कमी होने से कुपोषण खात्मे की जंग भी प्रभावित होती जा रही है, जिसके चलते पीलीभीत में बच्चे कुपोषण का शिकार होते जा रहे हैं.

अधिकारियों की कमी से जिला पीलीभीत होता जा रहा कुपोषण का शिकार
क्या है लापरवाही:
  • पीलीभीत महिला एवं बाल कल्याण विभाग में स्टाफ का अभाव है, तमाम पद पिछले कई सालों से खाली पड़े हैं.
  • विभाग का कार्य प्रभावित होने के साथ साथ पीलीभीत की जनता भी कुपोषण से प्रभावित हो रही है.
  • उच्च अधिकारियों के मुताबिक शासन स्तर को स्टाफ की कमी के लिए पत्र लिखा गया है. लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कोई भी तैनाती नहीं की गई है.
  • विभाग से जो कर्मचारी सेवानिवृत्त होते है या तबादला किया जाता है, उसके स्थान पर भी तैनाती नहीं की जाती है.
  • जिसके चलते कुपोषण पीलीभीत में अपने पांव फैलाता जा रहा है.
  • मसलन पुष्टाहार वितरण की हकीकत को परखने की जहमत भी विभाग द्वारा नहीं उठाई जाती है.
  • स्टाफ की कमी से यह भी नहीं पता हो पाता की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में पहुंच रही है या नहीं.

पीलीभीत महिला एवं बाल कल्याण विभाग में 66 सुपरवाइजर की तैनाती है लेकिन मात्र 10 सुपरवाइजर से विभाग का काम चलाया जा रहा है. मानक के अनुसार 1 सुपरवाइजर के पास 25 आंगनबाड़ी केंद्र की निगरानी का जिम्मा होता है. ऐसे में 10 सुपरवाइजर 1960 केंद्रों को कैसे देख पाते हैं. इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. पूरे जिले में 8 सीडीपीओ के पद हैं लेकिन दो सीडीपीओ के कंधों पर पूरे जिले की जिम्मेदारी है. इतना ही नहीं यहां पर डीपीओ का पद भी पिछले काफी समय से खाली पड़ा हुआ है जिसकी जिम्मेदारी सीडीपीओ अरविंद कुमार संभाल रहे हैं. जिले में महिला एवं बाल कल्याण विभाग में 22 क्लर्क पद है लेकिन वर्तमान में सिर्फ 7 क्लर्क ही विभाग का कार्य देखते हैं.

विभाग में डीपीओ समेत कई पद खाली है जिसके चलते महिला एवं बाल कल्याण विभाग का कार्य प्रभावित हो रहा है. जिसके लिए कई बार शासन स्तर पर पत्र भेजे जा चुके हैं. हाल ही में कुछ दिन पहले भी शासन को नई तैनाती के लिए पत्र भेजा गया था लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कोई नई तैनाती नहीं हुई है.
रमेश चंद्र पाण्डे, मुख्यविकास अधिकारी

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