मेरठ:पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को (Birth anniversary of Jawaharlal Nehru 2022) हुआ था. वह भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक देश पर शासन किया था. वह शांति और समृद्धि के महान अनुयायी थे. वह 1957 में मेरठ आए थे. उन्होंने यहां महान वीर सपूतों की याद में शहीद स्मारक की आधारशिला रखी थी. शहीद स्मारक तैयार होने में तीन सौ रुपये की लागत आई थी. इन वीरों ने 1857 की क्रांति और देश की आजादी के लिए अहम योगदान दिया था.
शहीद स्मारक में स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय के अधीक्षक पीके मौर्य ने इीटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि 10 मई 1957 को इसकी आधारशिला पंडित जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru history) ने रखी थी. शहीद स्मारक में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के उन क्रान्तिकारियों के नाम भी दर्ज हैं, जिन्होंने उस वक्त 1857 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मेरठ में बगावत की थी. उन 85 सैनिकों के नाम शहीद स्मारक में अंकित किए गए हैं. शहीद स्मारक की ऊंचाई सौ फीट है, जबकि उसके ऊपर अशोक स्तंभ स्थापित है. उसकी लंबाई 15 फीट है, जो रिकॉर्ड संग्रहालय में दर्ज है. उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने शहीद स्मारक को तैयार किया था.
मेरठ में उससे पहले भी एक अशोक स्तंभ था, जिसे फिरोजशाह तुगलक मेरठ से लेकर दिल्ली चला गया था और दिल्ली में स्थापित कर दिया था. बकौल पाइक मौर्य हमारे प्रधानमंत्री के इतिहासकार थे, इसलिए उन्होंने ही निर्णय लिया था, 1857 में क्रांति का बिगुल फूंकने वाली धरा पर क्रांतिवीरों की याद में इस शहीद स्मारक की स्थापना की गई. यह स्मारक दोनों चीजों संजोए रहा. मौर्य वंश के तीसरे शासक सम्राट अशोक का बनाया अशोक स्तंभ और दूसरा मेरठ की क्रांति का भी यह प्रतीक है.
पढे़ं-'नेहरू के संघर्ष व्यक्तिगत हितों के लिए नहीं, बल्कि विचारों पर थे'