मेरठ:उत्तर प्रदेश केमेरठ जिले को बहुत जल्द ही रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत उड़ान का तोहफा मिल सकता है. मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट के भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि छोटी उड़ान के लिए रीजनल केनेक्टिवटी स्कीम बेहतर है. इसलिए आरसीएस के लिए हवाई पट्टी को डेवलेप करने की तैयारी को लेकर उन्होंने उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की है. उन्होंने कहा कि मेरठ में डॉ. भीमराव अम्बेडकर हवाई पट्टी परतापुर मौजूद है. इसलिए इसे डेवलेप किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मेरठ से प्रयागराज और लखनऊ के लिए लोगों को उड़ान का तोहफा तोहफा मिल सकता है.
मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट के भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर उड़ान के नए विकल्पों की रूपरेखा प्रस्तुत की है. सांसद ने केंद्रीय मंत्री को भरोसा दिया कि मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के बीच उड़ान में घाटे की आशंका निराधार है. अगर घाटा हुआ तो प्रदेश सरकार इसकी प्रतिपूर्ति कर सकती है अथवा आय बढ़ाने के लिए हवाई पट्टी पर हैंगर और ट्रेनिंग सेंटर खोले जा सकते हैं. एक विकल्प यह भी है कि 3 माह तक लखनऊ और प्रयागराज तक उड़ान का ट्रायल कर लिया जाए.
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने की मुलाकात. बता दें कि मेरठ को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी कहा जाता है. सांसद राजेंद्र अग्रवाल केंद्रीय मंत्री नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात के दौरान साफ कर दिया कि मेरठ उद्यमियों, चिकित्सकों और कारोबारियों का भी शहर है. यहां से रोजाना सैकड़ों लोग हवाई टिकट के बराबर खर्च उठाकर लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज समेत दूसरी जगहों का सफर करते हैं. ऐसे में विमान के लिए यात्री न मिलने की आशंका बेबुनियाद है. परतापुर हवाई पट्टी के आसपास बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, जहां के उद्यमी देश-विदेश आते-जाते रहते हैं.
सन 2014 में मेरठ को रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत चुना गया था. हालांकि प्रदेश में सपा की सरकार होने की वजह से केंद्र एवं राज्य के बीच फाइलें फंसी रह गईं. 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी तो मेरठ से उड़ान की उम्मीदों को नए पर लग गए. फरवरी 2019 को तत्कालीन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के लिए उड़ान की मंजूरी दे दी. जूम एयर का चयन भी कर लिया गया, लेकिन कंपनी ने दावा किया कि मेरठ से पर्याप्त विमान यात्री नहीं मिलेंगे, ऐसे में एयरलाइंस को घाटा होगा. मार्च 2021 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत मेरठ समेत 96 रूटों का ई-प्रपोजल अपलोड किया, लेकिन अगस्त तक कोई प्रगति नहीं हुई.
अब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, दिल्ली एयरपोर्ट इंटरनेशनल लिमिटेड एवं प्रदेश सरकार की टीम उड़ान के विकल्पों पर मंथन कर रही हैं. सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मेरठ में इंटीग्रेटेड एयरपोर्ट बनाकर घाटे को पूरा किया जा सकता है. यहां पर उड़ान की ट्रेनिंग एवं कार्गो सेंटर बनाने की बात उठी है. एक विकल्प यह भी है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी से प्रदेश सरकार हवाई पट्टी वापस ले और अपने स्तर पर विमानों की उड़ान संचालित करे. उद्यमियों का दावा है कि मेरठ से लुधियाना, बनारस, आगरा जैसे शहरों से भी हवाई उड़ान जोड़कर लाभ अर्जति किया जा सकता है.
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मेरठ से करीब 100 किमी दूर स्थित जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है. ऐसे में मेरठ वासियों के दिल में भी यह तड़प है कि आखिर मेरठ का क्या कुसूर है. सांसद राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संज्ञान में विषय डाला है. हवाई पट्टी के लिए किसान पर्याप्त जमीन देने को तैयार हैं. मेरठ से विमान उड़ान के कई विकल्पों पर मंथन हो रहा है. घाटे की प्रतिपूर्ति के लिए प्रदेश सरकार के संपर्क में हूं. एएआई के एमडी से भी जल्द मुलाकात करूंगा. उड़ान अवश्य होगी.